जावरा। | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी | धर्म क्षेत्र में अपनी आध्यात्मिक साधना और समर्पण के लिए विख्यात ज्येष्ठ महासती, विदुषी एवं उप प्रवर्तनी डॉ. पूज्यनीय प्रियदर्शना जी म.सा. (छोटे बाई म.सा.) ने 68 दिवसीय सजग संथारा का पवित्र व्रत पूर्ण किया।
संथारा व्रत का आरंभ और पूर्णाहुति
डॉ. प्रियदर्शना जी म.सा. ने यह महापुण्य व्रत रविवार, 16 मार्च 2025 को सुबह 9:35 बजे महाराष्ट्र प्रवर्तक श्री कुंदनऋषिजी म.सा. के मुखराविंद से विधिवत लिया था। संथारा व्रत के दौरान उनकी सजगता, संयम और सहजता ने सभी श्रद्धालुओं को प्रभावित किया।
गुरुवार, 22 मई 2025 को शाम 4:05 बजे उनका यह पावन संथारा पूर्ण हुआ। उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो और उन्हें पंच परमेष्ठी का आशीर्वाद प्राप्त हो, ऐसी सभी श्रद्धालुओं की कामना है।
अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलि
महासती डॉ. प्रियदर्शना जी म.सा. की अंतिम डोली यात्रा शुक्रवार, 23 मई 2025 को सुबह 9:00 बजे श्री मयूर कॉलनी धर्मस्थानक कोथरूड से प्रारंभ होकर नवपेठ वैकुंठ श्मशान भूमि पर उनके अंतिम संस्कार के साथ सम्पन्न हुई।
उनकी 68 दिवसीय संथारा के दौरान नवकार महामंत्र के 68 अक्षरों का जाप कर उन्होंने आत्मकल्याण का सर्वोच्च मार्ग अपनाया। इस अपूरणीय क्षति पर जैन समाज सहित अनेक श्रद्धालुओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले गणमान्य उपस्थित
इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जावरा के पूर्व महामंत्री, जैन कांफ्रेंस के वरिष्ठ मार्गदर्शक एवं जैन दिवाकर संगठन समिति के राष्ट्रीय मंत्री संदीप रांका के नेतृत्व में पूर्वाध्यक्ष बंसतीलाल चपडोद, दिपचंद डांगी, पारसमल बरडिया, पुखराज कोचट्टा, सुशील चपडोद, श्रीपाल कोचट्टा, सुजानमल कोचट्टा, राकेश मेहता, नगरपालिका उपाध्यक्ष सुशील कोचट्टा, अजीत रांका, शेखर नाहर, सुरेश मेहता, सुजानमल ओरा, शांतिलाल दुग्गड, मनोहरलाल चपडोद, अभय सुराणा, सुभाष टुकडीया, सुरेन्द्र मेहता, चन्द्रप्रकाश ओस्तवाल, शांतिलाल डांगी, अतुल मेहता, विनोद लुणिया, दिलीप चत्तर, जवाहरलाल श्रीश्रीमाल, पारस गादिया, नरेन्द्र रांका, रमेश चंद जैन (वकील), जतिन कोचट्टा, अनिल दुग्गड, पंकज श्रीश्रीमाल, राहुल रांका, प्रकाश बोथरा, अजय चपडोद, अंकुर जैन, अशोक झामर, संदीप जैन, आकाश जैन, राकेश कोचट्टा, रुपेश दुग्गड, फतेहलाल बुरड, नितिन कोलन, अशोक रांका, वीरेन्द्र रांका, सुनिल मेहता, ज्ञानचंद ओस्तवाल, विजय नाहर, पराग कोचट्टा, फतेहलाल चोरड़िया, कमल चपडोद, अनिल चपडोद, धनसुख चोरड़िया, आयुष चोरड़िया, पवन डांगी, मनोज डांगी, विनोद ओस्तवाल, मोहनलाल पोखरना, दिनेश पोखरना, विनोद चपडोद, सुरेन्द्र चपडोद, संजय सुराणा सहित अनेक भक्त एवं अनुयायी उपस्थित थे।
समर्पण और श्रद्धा का संदेश
महासती डॉ. प्रियदर्शना जी म.सा. का कालधर्म श्रमण संध के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी अंतिम साधना, संयम और आत्मशुद्धि की यह अनूठी मिसाल आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी। सभी श्रद्धालु उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
महावीर सन्देश, राजकुमार हरण, जावरा