ब्रह्मचारी राजेंद्र जैन दनगसिया सल्लेखना समाधि की ओर अग्रसर

जल तक का त्याग कर संयम की पराकाष्ठा पर आरूढ़

 मुरैना / अजमेर | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी | 

जैन समाज की तप, त्याग और संयम परंपरा को पुनः जीवंत करते हुए ब्रह्मचारी राजेंद्र जैन दनगसिया आज सल्लेखना व्रत की परम साधना में लीन हैं।
उनकी यह अध्यात्म यात्रा परम पूज्य आचार्य श्री 108 समयसागर महाराज के ससंघ पावन सान्निध्य व मार्गदर्शन में अजमेर में चल रही है।

संयम का साक्षात रूप – ब्रह्मचारी राजेंद्र जैन

संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम भक्त और अनुयायी राजेंद्र जैन ने वर्षों पूर्व ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर संयम पथ को अपनाया था।
गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी उन्होंने आत्मा की शुद्धि, तप और त्याग का ऐसा अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया, जो वर्तमान युग में अत्यंत दुर्लभ है।

वे सदैव आचार्य विद्यासागर जी को भगवान के समकक्ष श्रद्धा से पूजते रहे, और उनका जीवन जैन दर्शन के सिद्धांतों से अनुप्राणित रहा।

जबलपुर में गुरुचरणों में समर्पण, मिला नया नाम

अपने जीवन के अंतिम चरण को पहचानते हुए श्री राजेंद्र जैन ने जबलपुर में विराजमान आचार्य श्री समयसागर जी महाराज को श्रीफल अर्पित कर सल्लेखना व्रत की भावना प्रकट की।

पूज्य गुरुदेव ने उनकी भावना को स्वीकार करते हुए उन्हें गृह त्याग कर दस प्रतिमा व्रती बनाया और नया तपस्वी नाम “क्षपक चिंतानंद जी” प्रदान किया।

जल त्याग से आरंभ हुई समाधि की साधना

क्षपक चिंतानंद जी ने संयम की इस सर्वोच्च साधना में जल तक का त्याग कर दिया है। आज उनका उपवास का तीसरा दिन है।
यह तपस्या साधारण नहीं, आत्मशुद्धि व मोक्षमार्ग की चरम साधना है, जिसमें शरीर नहीं, आत्मा की उन्नति प्राथमिक लक्ष्य होती है।

पारिवारिक समर्पण: भाव और भक्ति की मिसाल

इस पुण्य साधना में अजय जैन, विजय जैन दनगसिया सहित पूरा परिवार गहराई से भावनात्मक और सेवा भाव से संलग्न है।
वैयावृत्ति में वे न केवल तन-मन से सेवा कर रहे हैं, बल्कि हर क्षण मंगल भावना और आध्यात्मिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं।


यह केवल मृत्यु नहीं, आत्मा की मुक्ति का पर्व है

सल्लेखना व्रत, जिसे संथारा भी कहा जाता है, जैन धर्म में आत्मा की शुद्धि और मोह-माया से मुक्ति के अंतिम प्रयास के रूप में स्वीकार किया जाता है।
ब्रह्मचारी राजेंद्र जैन की यह तपस्या आज के समाज को संयम, वैराग्य और आत्मबोध का सशक्त संदेश देती है।


हम सबकी मंगल भावना है कि क्षपक चिंतानंद जी (राजेंद्र जैन दनगसिया) की आत्मा को उनके इस पवित्र संकल्प की पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो।
ओम् ह्रीं श्री आदिनाथाय नमः ।

🙏 सल्लेखना व्रत की जय! संयम धर्म की जय!

महावीर सन्देश | विशेष संवाददाता: मनोज जैन नायक |

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