श्रुत पंचमी महोत्सव एवं वेदी प्रतिष्ठा समारोह सानंद सम्पन्न – श्री शीतलनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, विदिशा

विदिशा। ।  एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |  श्री शीतलनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, किला अंदर स्थित प्राचीन तीर्थ क्षेत्र पर तीन दिवसीय श्रुत पंचमी महोत्सव एवं नवीन वेदी प्रतिष्ठा समारोह 29 से 31 मई तक अत्यंत भव्यता एवं श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुआ। धार्मिक उल्लास और आध्यात्मिक वातावरण से ओतप्रोत इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने समवेत सहभागिता कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

📿 श्रुत पंचमी की विशेष पूजन एवं वेदी प्रतिष्ठा

31 मई को प्रातः भगवानों का अभिषेक, श्री यंत्र पूजन एवं श्रुत पंचमी विशेष पूजन विधिपूर्वक सम्पन्न हुआ। इसके पश्चात मूल भगवान की प्रतिमा सहित कुल 13 जिन प्रतिमाओं को नूतन वेदी पर मंत्रोच्चार के साथ विराजमान कराया गया। प्रतिष्ठा विधान का संचालन विद्वान शुलभ शास्त्री एवं अमित भैया ने मंत्रों एवं विधानों के साथ किया, जबकि संपूर्ण कार्यक्रम का समुचित संचालन चिरंतन शास्त्री द्वारा किया गया।

🌸 भगवानों की प्रतिष्ठा में समाज की सहभागिता

भगवानों की नवीन वेदी पर प्रतिष्ठा करने का पुण्य सौभाग्य जिन श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ, उनमें प्रमुख रूप से –
पं. शिखरचंद जैन, संजय, राजीव, आलोक, अनुराग जैन, एकांत जैन, ऋषि, सूर्याकीर्ति अलंकार वाले, चिन्मय बड़कुल एवं समस्त बड़कुल परिवार, सतेंद्र लश्करी, अंशुल लश्करी परिवार, डॉ. मक्खनलाल जैन, शोभित जैन, डॉ. मोहित जैन, निर्मल कुमार, अविनाश कुमार (घड़ी वाले), शौर्य जैन (खेरुआ), राजेश शास्त्री, शरद (मानपुर), चेतन, नीलेश, अमित, राजीव, पीयूष (जनरल स्टोर), प्रेरक जैन (शास्त्री परिवार), प्रियांशु मोदी परिवार आदि श्रद्धालु सम्मिलित रहे।

इस अवसर पर भगवान को नवीन छत्र श्रद्धांजलि स्वरूप स्व. सुभाषचंद्र जैन की स्मृति में उनके परिवार – अनुराग एवं एकांत जैन – द्वारा अर्पित किया गया।

🔥 विधान की पूर्ण क्रियाएं सम्पन्न

भगवानों के प्रतिष्ठा उपरांत पुष्प क्षेपण, यज्ञाहुति एवं विधान की समस्त क्रियाएं सम्पन्न की गईं। श्रद्धालुजन भाव-विभोर होकर भक्ति रस में डूबे रहे।

📖 श्रुत पंचमी का महत्व – विद्वान शुभम शास्त्री का उद्बोधन

श्रुत पंचमी के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए विद्वान शुभम शास्त्री ने कहा कि –

“श्रुत का अर्थ है – सुना हुआ ज्ञान। जैन आगमों का लेखन जब प्रथम बार हुआ, उसे श्रुत का अवतार कहा गया। श्रुत देव से भी महान है, क्योंकि श्रुत ही आत्मा, देव, धर्म और जीवन का स्वरूप स्पष्ट करता है।”

उन्होंने आगे कहा कि –

“जिनशासन को जानना है तो आत्मा को पढ़ना होगा, क्योंकि जिसने आत्मा को पढ़ा, उसने संपूर्ण जिनशासन को आत्मसात किया।”

उन्होंने प्रसिद्ध प्रतिज्ञा भी स्मरण कराई –

“मुझे आत्मा का कल्याण करना है।
आत्मकल्याण हेतु सहायक जिनशास्त्रों का स्वाध्याय करना है।
यह स्वाध्याय केवल आत्मकल्याण के लिए ही हो।”

🎶 सांध्यकालीन भक्ति संध्या एवं बच्चों की कक्षा

सायंकालीन सत्र में प्रवक्ता डॉ. मक्खनलाल जैन द्वारा बालकों की कक्षा संचालित की गई। तत्पश्चात नवीन वेदी के समक्ष आध्यात्मिक भक्ति संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति से वातावरण भक्तिरस में सराबोर हो गया।

🙏 समापन एवं आभार प्रदर्शन

संपूर्ण कार्यक्रम की सफलता पर श्री शीतलनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष मलूकचंद जैन, रवि पटेल, संजय, एडवोकेट चक्रवर्ती जैन, राजकुमार जैन, प्रकाश सिंघई, नेमीचंद मानपुर, राकेश मोदी, रीतेश जैन, शिखरचंद जैन (MPSEB) सहित समस्त ट्रस्ट एवं समाजजनों ने आयोजन में सहभागिता निभाने वाले श्रद्धालुओं, सेवाभावी कार्यकर्ताओं एवं समस्त समाज का आभार व्यक्त किया।


📌 विशेष उल्लेख:
यह आयोजन न केवल परंपराओं के संरक्षण का प्रतीक रहा, बल्कि नई पीढ़ी को जैन संस्कृति और श्रुत परंपरा से जोड़ने वाला प्रेरणादायक उत्सव भी सिद्ध हुआ।


 

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