सागर में पहली बार आयोजित हुआ प्राकृत शिक्षण शिविर, श्रुत पंचमी पर्व पर निकली ऐतिहासिक शोभायात्रा

 

प्राकृत दिवस के रूप में मनाया गया ज्ञान और संस्कृति का महोत्सव

सागर।।  एनएमटी न्यूज़ एजेंसी | 
सागर शहर के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जब पहली बार प्राकृत भाषा शिक्षण शिविर का आयोजन कर श्रुत पंचमी पर्व को प्राकृत दिवस के रूप में भव्यता के साथ मनाया गया। गौराबाई शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में चल रहे इस शिविर ने प्राचीन जैन साहित्य, संस्कृति एवं भाषा को जन-जन तक पहुँचाने का जो बीड़ा उठाया है, वह प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है।


प्राकृत भाषा: भारत की शास्त्रीय धरोहर

प्राकृत भाषा, जो जैन धर्म के सिद्धांत ग्रंथों की मूल भाषा रही है, को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। इसके संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार हेतु इसी वर्ष फरवरी में प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन की स्थापना की गई, जिसका पंजीकरण सागर में हुआ है। यह फाउंडेशन अखिल भारतवर्षीय शास्त्री परिषद के साथ मिलकर देशभर में प्राकृत विद्या शिविरों का आयोजन कर रहा है।


गूढ़ ज्ञान और अध्यात्म का समन्वय

गौराबाई जैन मंदिर में आयोजित शिविर में प्राकृत विज्ञान, गुणस्थान विज्ञान, समय विज्ञान, तथा द्रव्यसंग्रह जैसे विशिष्ट विषयों का शिक्षण ब्र. अनीता दीदी, ब्र. मानी दीदी, विजय शास्त्री, अनिल शास्त्री और डॉ. शैलेश जैन द्वारा कराया जा रहा है। यह शिविर न केवल भाषा शिक्षण का केंद्र है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति, सामाजिक सद्भावना और मानवता के संस्कारों का संप्रेषण भी कर रहा है।


श्रुत पंचमी: ज्ञान का पर्व और संस्कृति का उत्सव

श्रुत पंचमी, वह दिव्य दिन है जब षट्खंडागम जैसे अतिमहत्वपूर्ण जैन ग्रंथ का संकलन पूर्ण हुआ था। इस अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो गौराबाई जैन मंदिर से प्रारंभ होकर तीन बत्ती, कीर्ति स्तंभ जैसे प्रमुख मार्गों से गुजरी। हाथों में जैन ध्वज और “श्रुत देवता की जय हो”, “प्राकृत दिवस जयवंत हो” जैसे नारे लिए सैकड़ों शिविरार्थी, पाठशाला छात्र, महिला मंडल और समाजजन शामिल हुए।


प्राकृत दिवस पत्रिका का लोकार्पण

राजस्थान के शिक्षा मंत्री माननीय मदनलाल दिलावर द्वारा स्वस्ति धाम, जहाजपुर में श्रुत पंचमी : प्राकृत दिवस पत्रिका का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन के महामंत्री डॉ. आशीष जैन आचार्य अपनी टीम के साथ उपस्थित रहे।


राष्ट्रीय लक्ष्य: प्राकृत को शासकीय स्तर पर स्थापित करना

प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. ऋषभचंद जैन फौजदार तथा शास्त्री परिषद के अध्यक्ष डॉ. श्रेयांश बड़ौत के मार्गदर्शन में यह शिविर एक व्यापक लक्ष्य की ओर अग्रसर है — प्राकृत भाषा को शासकीय स्तर पर सर्वतोमुखी रूप में स्थापित करना।


प्रशिक्षण शिविर: 28 मई से 3 जून तक

इस सात दिवसीय शिविर में भाषा अध्ययन के साथ-साथ, नैतिक मूल्यों, राष्ट्रीय चेतना, और आध्यात्मिक जागरण की शिक्षा दी जा रही है। शिविरार्थियों की उत्सुकता और प्राकृत सीखने की ललक को देखकर आयोजक भी हर्षित एवं प्रेरित हैं।


निष्कर्ष:

सागर नगर ने प्राकृत के पुनर्जागरण की ओर एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। यह केवल भाषा का शिविर नहीं, बल्कि संस्कृति, आध्यात्म और सामाजिक चेतना का एक संगम है — जो आने वाले समय में भारतीय ज्ञान परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने का कार्य करेगा।


महावीर संदेश – डॉ. आशीष जैन,

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