जहाजपुर (राजस्थान)। । एनएमटी न्यूज़ एजेंसी | श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र स्वस्तिधाम, जहाजपुर में दिनांक 26 मई से 31 मई 2025 तक आयोजित अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद् के शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर का भव्य समापन हुआ। इस वैचारिक एवं आध्यात्मिक शिविर का आयोजन भारतगौरव गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के पावन सान्निध्य में हुआ, जिसने देशभर के शिक्षकों, छात्रों व विद्वानों को एक वैचारिक मंच प्रदान किया।
शिक्षा और संस्कारों का अद्भुत समागम
शिविर की विशेषता रही इसकी विविधतापूर्ण प्रशिक्षण विधियाँ—संस्कार विधि, मंत्र विज्ञान, प्राकृत भाषा, तत्वार्थसूत्र का वैज्ञानिक विश्लेषण, शिक्षण एवं प्रवचन कौशल, योग और रचनात्मक विकास—जिन्हें देशभर से पधारे विद्वान प्रशिक्षकों ने प्रदान किया। इनमें पं. विनोद जैन रजवांस, ब्र. जयकुमार जैन निशांत, डॉ. आशीष जैन आचार्य, डॉ. समता जैन, डॉ. सोनल कुमार जैन, बहन प्रियंका शाह जैसे प्रख्यात नाम शामिल रहे। संयोजन डॉ. आशीष जैन आचार्य एवं सह-संयोजन प्रशांत जैन शास्त्री ने किया।
प्रशिक्षण प्रतिदिन सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक अनुशासित समयसारणी में सम्पन्न हुआ—जिसमें योग, अभिषेक-पूजन, प्राकृत शिक्षा, आशीर्वचन, प्रवचन कौशल, रात्रिकालीन रचनात्मक गतिविधियाँ सम्मिलित थीं।
विद्यार्थियों में उत्साह और प्रतिस्पर्धा
प्रशिक्षण उपरांत आयोजित परीक्षा में प्रतिभागियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
प्रशिक्षणार्थी वर्ग में:
- प्रथम: ब्र. पलक जैन (गैरतगंज)
- द्वितीय: ब्र. सोना दीदी (गैरतगंज)
- तृतीय: ब्र. आशु दीदी (देवली)
बालक वर्ग में:
- प्रथम: आर्यन जैन
- द्वितीय: आगम जैन
- तृतीय: अरिहंत जैन
राजकीय उपस्थिति बनी विशेष आकर्षण
शिविर के दौरान राजस्थान सरकार के उपमुख्यमंत्री श्री प्रेमचंद बैरवा दिनांक 28 मई को माताजी के दर्शनार्थ पधारे और शिविर की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
वहीं राज्य के शिक्षामंत्री श्री मदन दिलावर दिनांक 30 मई को स्वस्तिधाम पहुंचे और माताजी के सान्निध्य में ‘मेरी भावना’ पाठ में सहभागिता की। इस अवसर पर शिक्षामंत्रीजी के समक्ष मेरी भावना को शालेय पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का प्रस्ताव भी रखा गया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकृति मिली। साथ ही प्राकृत दिवस के प्रचार हेतु पोस्टर का लोकार्पण भी मंत्रीजी ने किया।
माताजी के प्रेरणास्पद उद्बोधन
गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा –
“यह शिविर समाज में शिक्षा की क्रांति का आधारशिला है। जिन्होंने इसे मन, वचन और कर्म से आत्मसात किया, वे अवश्य समाज को दिशा देने में सक्षम होंगे। यहाँ सीखी गई शिक्षाएँ ही भविष्य में उन्हें आत्मबल और मंच प्रदान करेंगी।”
व्यापक सहभागिता
शिविर में देशभर से आए 80 से अधिक प्रशिक्षु-प्रशिक्षिकाओं एवं विद्वानों की उपस्थिति रही—जिनमें अलीगढ़, सागर, टीकमगढ़, इंदौर, मथुरा, अहमदाबाद, दिल्ली, मुरैना, भिण्ड, झालरापाटन, बडामलहरा, विराटनगर, कोतमा, गुरसराय आदि स्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
संयोजक:
डॉ. आशीष जैन आचार्य, शाहगढ़
सह-संयोजक:
प्रशांत जैन शास्त्री, मड़ावरा
यह शिविर केवल प्रशिक्षण नहीं, वरन् जैन संस्कृति और शास्त्र परंपरा के संरक्षण की आधारशिला बना। यह आयोजन समर्पण, अनुशासन और जिज्ञासा की त्रिवेणी रहा, जिससे निकलकर अनेक दीपक अब समाज को आलोकित करने को अग्रसर हैं।