तंबाकू की लत आतंकवाद से भी अधिक घातक – राष्ट्रसंत कमलेश मुनि

 

उत्पादन पर लगे प्रतिबंध, धर्मस्थल हों तंबाकू मुक्त – संतों की हुंकार

चेन्नई। ।  एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |  “तंबाकू केवल शरीर का जहर नहीं, बल्कि यह विचारों की तामसिकता, संस्कारों की होली और चरित्र की बर्बादी का स्रोत है।” – यह तीखा और सटीक वक्तव्य राष्ट्रसंत कमलेश मुनि ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आयोजित जन-जागरण सभा में दिया। उन्होंने कहा कि तंबाकू चाहे जिस भी रूप में लिया जाए – सूंघकर, खाकर या पीकर – वह शरीर को विष के समान नुकसान पहुंचाता है और निकोटीन जैसे रसायन जीवन को असाध्य रोगों की ओर धकेलते हैं।

मुनिश्री ने नशे को आतंकवाद से भी अधिक खतरनाक बताते हुए कहा, “आतंकवादी समय-समय पर सीमित जनों को मारते हैं, जबकि तंबाकू से हर साल 30 लाख लोग काल का ग्रास बनते हैं। यह आत्मघाती प्रवृत्ति है और सरकार यदि केवल उपभोग पर रोक लगाए, लेकिन उत्पादन पर नहीं – तो यह नीति राष्ट्र विरोधी सिद्ध हो सकती है।”

सरकार की भूमिका पर सवाल

राष्ट्रसंत कमलेश मुनि ने कठोर शब्दों में कहा कि “रक्षक ही यदि भक्षक बन जाएं तो देश के नागरिकों की रक्षा कौन करेगा?” उन्होंने सरकार से आह्वान किया कि तंबाकू उत्पादकों पर तत्काल कानूनी प्रतिबंध लगाए जाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मीडिया, स्कूलों और धार्मिक मंचों का सक्रिय उपयोग किया जाए।

धर्म और नशा एक साथ संभव नहीं

जैन संत ने स्पष्ट किया कि विश्व का कोई भी धर्म नशा सेवन की अनुमति नहीं देता। उन्होंने चेताया कि “यदि युवा पीढ़ी नशे में डूबती रही, तो देश की एकता और अखंडता भी खतरे में पड़ सकती है।”

धूम्रपान विधेयक – क्रूर मजाक बनता कानून

धूम्रपान निषेध कानूनों की विफलता पर तीखी टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि “शासन-प्रशासन की मिलीभगत से खुलेआम नशे का व्यापार हो रहा है। यह कानून व्यवस्था पर कलंक है।” उन्होंने धर्मगुरुओं से आह्वान किया कि वे अपने धर्मस्थलों को तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित करें।

नशामुक्ति रैली और विचारगोष्ठी

इस अवसर पर वड़पलनि कोडंब भाकमबिहार सेवा के सैकड़ों युवाओं ने मुनिश्री के सान्निध्य में नशामुक्ति पदयात्रा आयोजित की। जनजागृति को और गहराई देने के लिए 2 और 3 जून को विशेष विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया जाएगा।

महासती दिव्य साधना जी का स्वास्थ्य संदेश

महासती दिव्य साधना जी ने कहा कि नशे का प्रभाव आँखों, श्वास नली, फेफड़ों, किडनी, हार्ट और लीवर पर गहरा पड़ता है। “यह कैंसर जैसे रोगों को खुला निमंत्रण है।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे जीवन में सच्चे नायक बनें, नशे के नहीं।

सम्मान और अभिनंदन

कार्यक्रम में महावीर तालेड़ा, अभय कोठारी, गौतम तालेड़ा, देवीचंद बरलोटा, गौतम बोहरा और गौतम लोढ़ा ने चेन्नई की ओर से संतों का सम्मान कर उनके अभियान को सशक्त समर्थन प्रदान किया।


 

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