पूर्णिमा पर प्रभु भक्ति के स्तवनों से गूंज उठा तीर्थ परिसर
बैंगलुरु।
जैसा कि हर वर्ष परंपरा रही है, राजेन्द्र पूनम ग्रुप के सदस्यों ने इस वर्ष भी पूर्णिमा के पावन अवसर पर आदाणी (तमिलनाडु) के समीप स्थित पवित्र पैदातुलम तीर्थ की भक्तिमय यात्रा पूर्ण श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न की।
मीडिया प्रभारी दिनेश सालेचा (मदुरै) ने जानकारी देते हुए बताया कि इस यात्रा में ग्रुप के लगभग 60 श्रावक-श्राविकाओं का दल सम्मिलित हुआ, जिन्होंने पारसमणि पारसनाथ परमात्मा के दर्शन कर प्रभु की आराधना की तथा अनेक भक्तिमय स्तवनों द्वारा तीर्थ को भक्ति के रंग में रंग दिया।
सुभाषचंद्र सवाणी ने बताया कि तीर्थ यात्रा के दौरान यात्रियों ने मंदिर परिसर एवं आसपास के विभिन्न पावन स्थलों का भी अवलोकन किया। पूर्णिमा के इस विशेष दिन पर सभी श्रद्धालुओं ने अपने-अपने परिवारजनों के साथ प्रभु पूजा-अर्चना कर सारा दिन तीर्थ की भक्ति-भावना में समर्पित किया।
उन्होंने कहा कि,
“हर वर्ष यह जातरा सामूहिक रूप से की जाती है, जिसमें सभी सदस्यों की समान सहभागिता रहती है और नए श्रद्धालु भी ग्रुप से जुड़ते जा रहे हैं।”
इस पावन अवसर पर उपस्थित प्रमुख श्रद्धालुओं में –
माणकमल भंडारी, राजेन्द्र लुणीया, महेन्द्र भंडारी, रमेशकुमार जैन, हीराचंद वेद मुथा, राजु सवाणी, रविन्द्र मोदी, पारसमल संघवी, रमेश बालर, किशोर कबदी, गणेश लुणीया मुथा, बाबुलाल सोफाडिया, जुगराज भंडारी, रमेश सोलंकी, निखिल, राजु जैन, दिलीप, अनीलकुमार, हितेन्द्रकुमार, जितेन्द्रकुमार, विक्रम सवाणी, महेन्द्र वेद मुथा, रमेशकुमार क्षत्रीय वोरा, ललित जैन, प्रकाश भंडारी, विमलकुमार, मनोहरमल, रतनचंद, चंपालाल श्रीश्रीमाल, राजकंवर भंडारी सहित अनेक पुरुष श्रद्धालु शामिल थे।
वहीं महिला श्रद्धालुओं में –
प्रकाशदेवी, लक्ष्मीदेवी, सरोजदेवी, त्रिशालादेवी, मंजुदेवी, अलकादेवी भंडारी, संगीतादेवी वेद मुथा, जशोदादेवी, कमलादेवी, अक्षिताकुमारी, जयश्रीदेवी, मीनादेवी, सुआबाईं, दाईंबाई, पुष्पादेवी, विमलादेवी, कंचनदेवी, अनीतादेवी, मधुदेवी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
यह यात्रा सामूहिक श्रद्धा, भक्ति और अध्यात्मिक समर्पण का अनुपम उदाहरण बन गई, जिसने सभी यात्रियों को आत्मिक आनंद से भर दिया।
राजेन्द्र पूनम ग्रुप द्वारा की गई यह तीर्थयात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान रही, बल्कि समूहिक एकता, सेवा और भक्ति के भावों को और अधिक सशक्त करने वाली रही।
महावीर सन्देश – दिनेश सालेचा,