“मुझे भगवान की खोज करनी है” — आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज

धर्मनगरी खतौली पावन बनी, गुरु चरणों से हुआ कण-कण पवित्र

 

खतौली।।  एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |
“मनुष्य जीवन का उद्देश्य केवल एक — भगवान की खोज करना है”, इस प्रेरणादायी संदेश के साथ संघ शिरोमणि, भावलिंगी संत आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज ने अपने विशाल चतुर्विध जैन संघ के साथ 12 जून को खतौली धर्मनगरी में मंगल प्रवेश कर समूचे नगर को गुरु भक्ति में सराबोर कर दिया।

33 पीठी धारी दिगम्बर साधु-साध्वियों के साथ आचार्य श्री का आगमन होते ही नगरवासी श्रद्धा, आस्था और भक्ति से झूम उठे। खतौली से सलबा अतिशय क्षेत्र तक सैकड़ों श्रद्धालुजनों की मौजूदगी में धर्म यात्रा निकाली गई, जिसमें बाल, युवा एवं वृद्ध समुदाय ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।


📿 चातुर्मास 2025 के लिए सहारनपुर की ओर प्रस्थान:

ज्ञात हो कि आचार्य श्री इस वर्ष के मंगल चातुर्मास हेतु धर्मनगरी सहारनपुर की ओर प्रस्थानरत हैं, परंतु खतौली समाज के सद्भावपूर्ण निवेदन पर उन्होंने 4-5 दिवस का मंगल विश्राम प्रदान कर नगरवासियों को अनुपम आध्यात्मिक अवसर प्रदान किया।


🕉️ आचार्य श्री के दिव्य प्रवचनों की झलक:

आचार्य श्री विमर्श सागर जी ने अपने प्रवचनों में गूढ़ तत्वज्ञान प्रस्तुत करते हुए कहा:

“यह मनुष्य जीवन केवल भोगों के लिए नहीं, भगवान बनने की खोज के लिए मिला है। अनादि काल से जीव निगोद, वृक्षादि जैसी एकेंद्रिय योनियों में अनंत कष्ट भोगता आया है, जहां प्रतिकार की शक्ति नहीं थी। अब जब पंचेन्द्रिय मनुष्य जीवन प्राप्त हुआ है, तो थोड़ी-सी गर्मी या सर्दी में भी हम व्याकुल हो जाते हैं। जबकि हमें यह जीवन आत्म कल्याण हेतु मिला है।”

उन्होंने श्रद्धालुओं को सावधान करते हुए कहा कि:

“यदि हर मनुष्य यह स्मरण करे कि यह जीवन केवल भगवान की खोज हेतु है, तो उसके कदम कभी भी विकारों, नशे और मोह की ओर नहीं बढ़ सकते। पूर्व जन्मों की पीड़ाएं भूलकर आज के भोगों में मदहोश मत बनो।”


🌺 खतौली समाज की भक्ति भावनाओं का सम्मान:

खतौली समाज ने गुरु संघ का अभिनंदन करते हुए आचार्य श्री से निवेदन किया कि वे कुछ दिन नगर में ठहरकर धर्मप्रेमियों को सत्संग, साधना और उपदेश का लाभ प्रदान करें। आचार्य श्री ने खतौली समाज की भक्ति भावना से प्रसन्न होकर 4-5 दिवस का मंगल विश्राम प्रदान करने की घोषणा की, जिससे नगर में धार्मिक उत्सव का वातावरण बन गया।


📌 निष्कर्ष:

आचार्य श्री विमर्श सागर जी का यह धर्ममय प्रवास खतौली नगर के लिए पुण्य और सौभाग्य का प्रतीक बना। उनकी वाणी से प्रवाहित आध्यात्मिक ऊर्जा ने जनमानस को धर्म मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी। उनके संदेश “मुझे भगवान की खोज करनी है” ने उपस्थित प्रत्येक श्रोता के हृदय में दिव्य भाव जगा दिया।

🕊️ खतौली की धरती धन्य हुई — गुरु चरणों के स्पर्श से।

✍️ सोनल जैन की रिपोर्ट

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