इतिहास की परतें खोल रही हैं देव नदी के तट पर बसा प्राचीन मदनपुर (मंडवाड़ा)
इंदौर/बड़वानी। बड़वानी जिले की ठीकरी तहसील के ग्राम मंडवाड़ा (प्राचीन नाम मदनपुर) में हाल ही में की गई खुदाई में आठ जैन तीर्थंकर प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। इन प्रतिमाओं को स्थानीय ग्रामीणों व समाजजनों ने श्रद्धापूर्वक बावनगजा स्थित प्रसिद्ध दिगंबर जैन संग्रहालय में सुरक्षित भिजवाया है। यह गांव देव नदी के तट पर स्थित है और इसकी ऐतिहासिकता करीब 1500 वर्ष या उससे अधिक पुरानी मानी जा रही है।
इस ऐतिहासिक खोज की जानकारी देते हुए वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी ने बताया कि यह क्षेत्र जैन संस्कृति की समृद्ध विरासत को समेटे हुए है। अजंड निवासी समाजसेवी धर्मेंद्र जैन और अभय बोहरा ने बताया कि मंडवाड़ा और इसके आसपास के क्षेत्रों से पूर्व में भी अनेक जैन प्रतिमाएं प्राप्त होती रही हैं। कुछ समय पूर्व ही यहां से भगवान नेमीनाथ की प्रतिमा तथा पास के धनौरा ग्राम से भगवान श्रेयांसनाथ की प्रतिमा प्राप्त हुई थी।
तारापुर घाट में भी एक अति प्राचीन जैन मंदिर की उपस्थिति की पुष्टि करते हुए बाकानेर निवासी श्रीमती बरखा बड़जात्या ने बताया कि वहां भी जैन प्रतिमाएं प्राप्त होने की पूरी संभावना है।
सैकड़ों प्रतिमाएं अब तक निकल चुकीं, कई बहा दी जाती हैं नदी में
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक मंडवाड़ा गांव से सैकड़ों जैन प्रतिमाएं निकल चुकी हैं। देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को तो गांव के मंदिरों में स्थापित कर दिया जाता है, लेकिन अन्य पुरातात्विक महत्त्व की मूर्तियां ‘शासन के डर’ से देव नदी में प्रवाहित कर दी जाती हैं।
इसका कारण यह है कि लोगों में यह भ्रम है कि यदि मूर्तियों के निकलने की सूचना पुरातत्व विभाग को हुई तो उनके निर्माण कार्यों पर रोक लग सकती है।
ओम पाटोदी ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह गलत धारणा है, जिसके कारण हजारों वर्षों का इतिहास पुनः भूमिगत हो रहा है। शासन-प्रशासन को चाहिए कि वह ग्रामीणों को जागरूक करे ताकि ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सके।
आठ प्रतिमाएं – एक पंचबालयति प्रतिमा भी शामिल
धर्मेंद्र जैन के अनुसार हाल ही में जो आठ प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं, उनमें भगवान पार्श्वनाथ, अन्य तीर्थंकर, यक्ष-रक्षिणी की प्रतिमाएं शामिल हैं। इनमें एक विशालकाय पंचबालयति तीर्थंकर प्रतिमा विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसकी ऊंचाई करीब 8 से 10 फीट है।
स्थानीय मान्यताओं एवं प्राप्त शिलालेखों के अनुसार, मंडवाड़ा का प्राचीन नाम मदनपुर था। शिलालेखों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां परमार काल के समय जैन धर्म का अत्यधिक प्रभाव रहा होगा, और यह एक समृद्ध जैन बस्ती रही होगी। आज भी खुदाई के दौरान यहां 1500 से 1700 वर्ष पुरानी प्रतिमाएं प्राप्त हो रही हैं।
(विशेष संवाददाता: ओम पाटोदी)
संपर्क: जीवनलाल जैन, नागदा