“संत के आने से सोना-सा, जाने से सुना-सा हो जाता है” – गणीनी गुरु मां विभा श्री माताजी

 

मानव पर्याय दुर्लभ चिंतामणि रत्न के समान – त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर कोटा में धर्मसभा संपन्न

प्रस्तुति – पारस जैन ‘पार्श्वमणि’, पत्रकार कोटा

कोटा।
गणीनी आर्यिका श्री विभा माताजी (13 पिच्छिका) ने कहा कि “संत जहां आते हैं, वहां जीवन सोना-सा हो जाता है और जहां से जाते हैं, वहां सूनापन छा जाता है।” यह उद्गार उन्होंने आर.के.पुरम स्थित 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ त्रिकाल चौबीसी दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए।

गुरु मां ने अपने प्रवचन में कहा कि मानव पर्याय चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद प्राप्त दुर्लभ चिंतामणि रत्न के समान है। इस जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, बल्कि सच्चे देव, शास्त्र और गुरु की सेवा, भक्ति और समर्पण के साथ व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में प्राप्त साधनों का उपयोग धार्मिक और पुण्य कार्यों में करना चाहिए, न कि पाप के मार्ग में।

“हर सांस अनमोल है, अगली सांस मिलेगी या नहीं – इसकी कोई गारंटी नहीं है,” उन्होंने कहा।

भव्य शोभायात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि एल.आई.सी. बिल्डिंग से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें गुरु मां विभा माताजी ससंघ का भव्य स्वागत किया गया। यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए, महिलाओं ने मंगल कलश, पुरुषों ने ध्वज, और बच्चों ने धार्मिक धुनों पर नृत्य कर भक्ति भाव प्रकट किया।

शोभायात्रा मार्ग में अनेक स्थानों पर स्वागत द्वार सजाए गए। श्रद्धालुओं ने गुरु मां का पाद प्रक्षालन कर आरती की। संपूर्ण वातावरण धार्मिक उल्लास से गूंज उठा।

धर्मसभा में श्रद्धा और ऊर्जा का संगम

धर्मसभा की शुरुआत नन्ही बच्चियों द्वारा मंगलाचरण से हुई, जिन्होंने भावपूर्ण मुद्राओं में प्रस्तुति दी।
शस्त्र वेद एवं मंगल दीप प्रज्वलन का सौभाग्य ज्ञानचंद जैन, संजय जैन, तृप्ति जैन सहित परिवारजन को प्राप्त हुआ।

मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष ज्ञानचंद जैन, महामंत्री अनुज गोधा एवं प्रचार मंत्री पारस जैन ‘पार्श्वमणि’ ने बताया कि धर्मसभा में सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष प्रकाश बज, महामंत्री पदम बड़ला, कोषाध्यक्ष जितेंद्र हरसोरा, जे.के. जैन, लोकेश बरमूड़ा, पंकज जैन, पदम जैन, अनिल ठोरा, चंद्रेश जैन, रितेश सेठी, सीसवाली से लोकेश जैन सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।

मंदिर समिति के कार्याध्यक्ष प्रकाश जैन ने जानकारी दी कि कार्यक्रम की शुरुआत प्रातःकाल अभिषेक एवं शांति धारा के साथ हुई, जिसमें विश्व शांति की कामना की गई।

जीवन को करें धर्ममय और सकारात्मक – गुरु मां का संदेश

गुरु मां विभा श्री माताजी ने अपने संदेश में कहा कि

“यदि आपके पास साधन हैं, तो उनका उपयोग धर्म कार्य में करें। जीवन में सकारात्मक सोच और सेवा का भाव बनाए रखें, यही जीवन की सच्ची गति है।”


📞 संपर्क: पारस जैन ‘पार्श्वमणि’, पत्रकार कोटा – 94147 64980


 

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