पूज्य दिलीप मुनि जी एवं महासती आदर्श ज्योति जी म.सा. का देवलोकगमन

हजारों श्रद्धालुओं ने डोल (अंतिम यात्रा) में भाग लेकर अर्पित किए श्रद्धा सुमन

✍🏻 महावीर सन्देश – जयेश झामर, मेघनगर

जैन धर्म संघ के लिए अत्यंत शोकपूर्ण समाचार – तपस्वीराज पूज्य दिलीप मुनि जी महाराज साहब का लिमखेड़ा (गुजरात) में तथा महासती आदर्श ज्योति जी महाराज साहब का इंदौर में देवलोकगमन हो गया। इस दुःखद समाचार से सम्पूर्ण जैन समाज विशेषकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में शोक की लहर छा गई।

आध्यात्मिक जीवन का विलक्षण उदाहरण थीं महासती आदर्श ज्योति जी म.सा.
महासती श्री आदर्श ज्योति जी म.सा. का जन्म भंडारी परिवार, इंदौर में हुआ था। आपने 10 दिसंबर 1972 को आचार्य श्री उमेश मुनि जी महाराज साहब के सानिध्य में संयम जीवन को अंगीकार किया और लगभग 55 वर्षों तक कठोर तप और संयम का जीवन जीते हुए जिनशासन की प्रभावना की। आपकी अनेक शिष्याएं देशभर में साधना कर रही हैं।
वर्ष 1995-96 में इंदौर में आयोजित चातुर्मास में अनेक तपस्वियों ने आपके सान्निध्य में कठोर तप किए थे। महावीर भवन में साध्वी मुक्ति प्रभा जी म.सा. के सान्निध्य में चार लोगस्स ध्यान एवं नवकार जाप जैसे आध्यात्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए।

तपस्वीराज पूज्य दिलीप मुनि जी महाराज साहब – संयम, साधना और अध्ययन का आदर्श स्वरूप
पूज्य दिलीप मुनि जी म.सा. ने 5 जनवरी 2009 को लिंमड़ी (गुजरात) में आचार्य उमेश मुनि जी महाराज साहब के चरणों में दीक्षा ली। सांसारिक जीवन में आप श्री बाबूलाल कर्नावट एवं श्रीमती कमलाबाई कर्नावट के सुपुत्र थे और आपकी धर्मपत्नी मधु बहन कर्नावट थीं।
दीक्षा के बाद आपने अनेक शास्त्रों का अध्ययन किया और देशभर के अनेक स्थानों पर चातुर्मास कर जिनशासन को शोभायमान किया। 2025 का चातुर्मास गोधरा में नियोजित था, जिसके लिए पैदल विहार करते हुए वे लिमखेड़ा पहुँचे थे। वहीं उनका देवलोकगमन हुआ।

हजारों श्रद्धालुओं ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
स्थानकवासी श्री संघ के विपुल धोका ने बताया कि थान्दला, झाबुआ, पेटलावद, राणापुर, रतलाम, धार, राजगढ़, उज्जैन, बड़वानी, खंडवा सहित महाराष्ट्र व राजस्थान से हजारों श्रद्धालु भक्तों ने डोल (अंतिम यात्रा) में भाग लिया और श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

स्थानकवासी जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश भंडारी ने बताया कि पूज्य मुनिश्री का जीवन साधना, अध्ययन और सेवा की त्रिवेणी रहा है। उनकी दिव्य स्मृति जैन समाज को सदैव प्रेरणा देती रहेगी।


 

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