✍️ मनोज जैन नायक, मुरैना
मुरैना। सेवा, समर्पण और संस्कार की भावना से ओतप्रोत जैन मित्र मंडल मुरैना ने एक बार फिर परोपकार और जीवदया की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल करते हुए समाज के समक्ष जीव सेवा का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।
संस्था के मुख्य संयोजक सतेंद्र शशि जैन (खनेता वाले) की वैवाहिक वर्षगांठ के पावन अवसर पर मित्र मंडल के सदस्यों ने परंपरागत रूप से कोई भोज या उत्सव न मनाकर बावा देवपुरी मंदिर एवं चंबल नदी तट पर निवासरत वानर सेना के लिए भंडारे का आयोजन किया।
भोर की बेला में प्रातः 5 बजे, सभी सदस्य केले, बिस्किट, ब्रेड और भुने हुए चने लेकर मंदिर परिसर पहुँचे और सैकड़ों बंदरों को आत्मीयता के साथ अपने हाथों से भोजन कराया। इस जीवदया कार्य में बंदरों ने भी अत्यंत अनुशासन और सौम्यता के साथ भोजन ग्रहण कर सद्भावना और सह-अस्तित्व का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।
🔹 परोपकार की अनूठी परंपरा
जैन मित्र मंडल की यह परोपकारी परंपरा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। संस्था के सदस्य अपने अथवा परिजनों के जन्मदिन, वर्षगांठ जैसे शुभ अवसरों को नेत्रहीन विद्यालय, वृद्धाश्रम या निरीह पशुओं की सेवा कर मनाते हैं, जो आज की पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है।
🔹 भंडारे में सक्रिय सहभागिता
इस सेवा कार्य में सक्रिय रूप से सहभागी रहे —
सतेंद्र जैन खनेता, एडवोकेट धर्मेंद्र जैन, अशोक जैन मेडिकल, योगेश जैन आलेश, महेश जैन परीक्षा, चंद्रप्रकाश जैन कुथियाना, नितिन जैन बघपुरा, सोनू जैन ज्ञानतीर्थ, अनिल जैन गढ़ी, नरेश जैन टिल्लू, अतुल जैन वरैया, ऋषभ जैन परीक्षा, अनुराग जैन जीन, बंटी पलपुरा, पंकज जैन नायक, गौरव जैन जीन, पीयूष जैन, और संस्था के नन्हे मुन्ने बालक भी उपस्थित रहे।
🔹 समाज के लिए संदेश
जैन मित्र मंडल ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि वह जीव मात्र की सेवा और संवेदना से जुड़ा है। जीवदया जैसे कार्य आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक जागरूकता दोनों के वाहक बनते हैं।
निष्कर्ष:
मुरैना का जैन मित्र मंडल निःस्वार्थ सेवा, जीवदया और समाजोत्थान की दिशा में सतत कार्यरत है। इस प्रकार के आयोजन समाज को नई प्रेरणा देते हैं और मानवता की ओर लौटने का संदेश देते हैं।
“परोपकार ही सच्चा धर्म है — यह उदाहरण जैन मित्र मंडल ने एक बार फिर साकार कर दिखाया है।”