सिद्धों की आराधना से पापों का क्षय होता है — मुनिश्री विलोकसागर

नसियांजी में 30 जून को मनाया जाएगा आचार्य विद्यासागर दीक्षा दिवस समारोह
✍🏻 मनोज जैन नायक, मुरैना

मुरैना।जो पाप तप, त्याग और संयम से नहीं कटते, वे पाप भी सिद्धचक्र विधान की आराधना से समाप्त हो जाते हैं।” — यह दिव्य वचन जैन संत मुनिश्री विलोकसागर महाराज ने बड़े जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

मुनिश्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि सिद्ध परमेष्ठी की आराधना से जन्म-जन्मांतर के पापों का क्षय होता है। उन्होंने कहा कि सिद्धचक्र महामंडल विधान कोई आम आयोजन नहीं है, यह वे पुण्यशाली जीव ही कर सकते हैं जिनकी कर्म भूमि में धर्म की गंगा बह रही हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधान न धन से होता है, न वैभव से — यह केवल श्रद्धा, समर्पण और पुण्य के बल से संभव है।

🔹 नसियांजी जैन मंदिर में दीक्षा दिवस पर विशेष आयोजन

संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के दीक्षा दिवस के पावन उपलक्ष्य में 30 जून को श्री महावीर दिगंबर जैन नसियांजी मंदिर में विशेष आयोजन किया जाएगा। इस हेतु पवन जैन (रतिरामपुरा) के नेतृत्व में जैन समाज फाटक बाहर द्वारा पूज्य मुनिश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी को श्रीफल अर्पित कर सादर आमंत्रण दिया गया।

प्रातः 8 बजे गाजे-बाजे के साथ बड़े जैन मंदिर से मुनिश्री का शोभायात्रा सहित आगमन होगा, तत्पश्चात प्रवचन एवं आहारचर्या का आयोजन होगा। 1 जुलाई को गुणानुवाद सभा आयोजित की जाएगी।

🔹 सिद्धचक्र महामंडल विधान 3 जुलाई से

अष्टान्हिका महापर्व के अंतर्गत 3 जुलाई से 11 जुलाई तक श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन बड़े जैन मंदिर में होगा। इस अवसर पर भजन गायक हर्ष जैन एंड कंपनी (भोपाल) अपनी सुमधुर प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध करेंगे।

मुनिश्री ने बताया कि सिद्धचक्र विधान जैन धर्म की एक दिव्य आराधना प्रक्रिया है, जिसमें मंत्र शक्ति और दिव्य बीजाक्षरों की स्थापना के साथ आत्मिक उत्थान का अद्भुत वातावरण निर्मित होता है।

🔹 भव्य सहभागिता और पुण्य का सागर

श्रीफल भेंट अवसर पर पवन जैन (रतिरामपुरा), पदमचंद जैन चैटा, टीकाराम जैन, सुरेंद्र जैन, डॉ. सतेंद्र जैन, रवींद्र जैन, रामकुमार जैन, नवीन जैन आदि समाजजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।


निष्कर्ष:
“सिद्धों की आराधना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्षमार्ग की ओर एक सशक्त कदम है।”
जैन समाज मुरैना द्वारा आयोजित यह आयोजन निश्चित रूप से नगर को आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति प्रदान करेगा।

– नमो सिद्धाणं


 

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