तपस्विराज दिलीपमुनिजी की गुणानुवाद सभा सम्पन्न — जैन समाज ने दो महान साधकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की

 

✍️ महावीर संदेश – पवन नाहर, थांदला।

जिन शासन को एक ही दिन में दो दिव्य साधकों के असामयिक अवसान से गहरी क्षति पहुँची है। तपस्विराज पूज्य गुरुदेव श्री दिलीपमुनिजी म.सा. का गोधरा क्षेत्र के लिमखेड़ा-पिपलोद मार्ग पर विहार के दौरान कालधर्म हो गया, वहीं श्रमण संघ की उप परवर्तिनी पूज्या श्री आदर्शज्योतिजी म.सा. ने इंदौर में पंडित मरण प्राप्त किया। इन दोनों महान साधकों के दिवंगत होने की खबर जैसे ही समाजजनों तक पहुँची, शोक की लहर फैल गई, और विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन होने लगा।

थांदला में पूज्य महासती निखिलशीलाजी म.सा., दिव्यशीलाजी म.सा., प्रियशीलाजी म.सा., एवं दीप्तिजी म.सा. के पावन सान्निध्य में पूज्य श्री धर्मदास गण परिषद और थांदला श्रीसंघ के तत्वावधान में भावपूर्ण गुणानुवाद सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भरत भंसाली भी उपस्थित रहे।

🔹 पूज्या श्री निखिलशीलाजी का प्रेरणादायी उद्बोधन:

पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तपस्विराज दिलीपमुनिजी जिन शासन के प्रभावशाली संतों में एक थे। आप वाचनी और तपस्या में अप्रतिम थे, और लगभग 25 वर्षों से एकांतर वर्षीतप जैसे कठोर व्रत में लीन थे। आपकी तपशक्ति, स्वाध्याय प्रेम, वचन सिद्धि और आत्मानुशासन समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। आपने “पक्खी का चूना” जैसे पुण्य दिन का वरण कर अंतिम यात्रा को भी आराधना में परिणत कर दिया।

पूज्या श्री ने पूज्या आदर्शज्योतिजी म.सा. की भी भावपूर्ण स्मृति साझा करते हुए कहा कि उनके जैसे संयमी जीवन से अनेक आत्माओं ने मार्गदर्शन पाया। उनका जीवन “आदर्श” नाम को चरितार्थ करने वाला रहा।

🔹 भरत भंसाली का श्रद्धांजलि वक्तव्य:

संघ अध्यक्ष भरत भंसाली ने कहा कि वर्ष 2009 में दिलीपमुनिजी म.सा. ने करोड़ों की संपत्ति, भरा-पूरा परिवार और प्रतिष्ठित सामाजिक पदों को त्यागकर गुरुचरणों में संयम स्वीकार किया। उनकी वाणी इतनी ओजस्वी थी कि व्यसन में डूबे युवा उनका प्रवचन सुनकर परिवर्तन की ओर बढ़ जाते थे। आपने खिरकिया, रतलाम, इंदौर जैसे महानगरों में तपस्या की लहरें जगा दीं। वे जीवंत संपर्क वाले संत थे जिनके जाने से जिन शासन में अपूरणीय रिक्तता आई है।

🔹 भावसिक्त स्तवन और श्रद्धांजलियाँ:

सभा में दीप्तिजी म.सा. ने भावविभोर होकर स्तवन “बंधन तोड़ के उड़ गया रे अविनाशी आत्मा…” के माध्यम से अपने श्रद्धा भाव प्रकट किए।
रजनीकांत शाह, वीरेन्द्र मेहता सहित अन्य वरिष्ठ स्वाध्यायियों ने भी अपने शब्दों से दोनों साधकों को श्रद्धांजलि दी।

सभा का संचालन संघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया और आभार प्रदर्शन करते हुए सभा के समापन की घोषणा संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने की।


निष्कर्ष:
दो महान आत्माओं का जाना निश्चित ही जिन शासन के लिए गहन क्षति है, किंतु उनका जीवन आज भी संयम, तप और आत्मशुद्धि की प्रेरणा देता है। यदि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें, तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


 

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