✍️ गोरेगांव।
आज गोरेगांव की पुण्य धरा पर जैन समाज के लिए एक ऐतिहासिक और भावपूर्ण क्षण उपस्थित हुआ, जब पुण्य सम्राट के परम आत्मीय आचार्य देवेश श्री रत्नसुंदर सागर जी म.सा. और पुण्य सम्राट के पट्टधर, हृदय सम्राट गच्छाधिपति श्री नित्यसेन सूरीश्वर जी म.सा. का आपसी आत्मीय मिलन सम्पन्न हुआ।
गौरतलब है कि आज गोरेगांव में राजस्थान भवन के पास लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर विराजमान आचार्य रत्नसुंदर सागर जी म.सा. की सुखसाता पूछने और वंदन हेतु गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वर जी म.सा. अपने मुनि मंडल के साथ पहुँचे। यहाँ मिलन के अवसर पर हर्ष और उल्लास का अद्भुत वातावरण बना रहा।
🔷 पुण्य स्मरण और धर्म चर्चा:
मिलन के इस पावन अवसर पर दोनों गच्छनायकों ने एक-दूसरे का आत्मीयता से अभिनंदन किया और पुण्य सम्राट को स्मरण करते हुए उनकी गहन अध्यात्म भावना और समाज के प्रति समर्पण की चर्चा की। साथ ही संघ, समाज और शासन के विकास हेतु सहयोगात्मक संवाद भी हुआ।
आचार्य रत्नसुंदर सागर जी म.सा. ने गच्छाधिपति श्री के साथ आए युवाचार्य मुनि भगवंतों को हितोपदेश भी प्रदान किए, जो उपस्थित जनसमुदाय के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना।
🍃 सामूहिक गोचरी का आयोजन:
मिलन उपरांत दोनों गच्छनायकों ने अपने-अपने मुनि मंडलों के साथ सामूहिक गोचरी ग्रहण की। यह दृश्य साधु-संघ की एकता, आपसी समर्पण और जैन संस्कृति की गरिमा को दर्शाने वाला अत्यंत प्रेरणादायक रहा।
गोरेगांव की धर्मप्रेमी जनता ने इस पावन मिलन को देखकर आत्मिक प्रसन्नता अनुभव की और इसे धर्मक्षेत्र में एक शुभ संकेत माना।