मुरैना (मनोज जैन नायक)।
“साधु-संत किसी व्यक्ति विशेष या समाज की संपत्ति नहीं होते, वे तो अविरल बहती ज्ञान और धर्म की धारा होते हैं। दिगंबर साधु निरंतर पदविहार करते हुए जहां भक्ति, समर्पण और सामाजिक एकता पाते हैं, वहीं धर्म प्रभावना करते हैं।” उक्त उद्गार मुनिश्री विलोकसागर महाराज ने नसियां जी जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि केवल श्रीफल अर्पण कर देने से चातुर्मास नहीं होता, इसके लिए गहरी भक्ति, सच्चा समर्पण और समाज में अटूट एकता आवश्यक है। “जहां समाज में भक्ति, समर्पण और एकता होगी, वहीं हमारा चातुर्मास होगा। बिखरे हुए समाज में चातुर्मास सार्थक नहीं हो सकता। समय रहते जाग जाएं, अन्यथा पछताना पड़ सकता है।”
मुनिश्री ने चातुर्मास के चार महीनों को आत्ममंथन और मन को पावन बनाने का अवसर बताया।
धार्मिक आयोजन की भव्य शुरुआत
धर्मसभा का शुभारंभ आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। पावन युगल मुनिराजों का पादप्रक्षालन वीरेंद्रकुमार-जितेंद्रकुमार जैन द्वारा एवं शास्त्र भेंट रमाशंकर जैन, पदमचंद जैन व जैन मित्र मंडल को प्राप्त हुआ। मुनिराजों की आहारचर्या पवनकुमार ऋषभ जैन और पदमचंद गौरव जैन के यहां संपन्न हुई।
आचार्य विद्यासागर जी का दीक्षा दिवस आज
जैन मित्र मंडल के संयोजक अनूप जैन भंडारी ने जानकारी दी कि पूज्य आचार्य विद्यासागर महाराज का दीक्षा दिवस 30 जून को प्रातः 7:30 बजे से नसियां जी जैन मंदिर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। अष्टद्रव्यों से पूजन व गुणानुवाद सभा का आयोजन भी किया जाएगा। इस अवसर पर पूज्य मुनिश्री विलोकसागर एवं मुनिश्री विबोध सागर महाराज विशेष सान्निध्य देंगे।
भव्य स्वागत और समाज का अनुकरणीय सहयोग
पूज्य मुनिराजों के स्वागत में महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश रखकर मंगलगीतों के साथ अगवानी की। बड़े जैन मंदिर से नसियां जी लाने और ले जाने में जैन मित्र मंडल की भूमिका सराहनीय रही। आयोजन में सतेंद्र जैन खनेता, एडवोकेट धर्मेंद्र जैन, रविकांत जैन, विमल जैन, अशोक जैन, नितिन जैन, नरेश जैन, सुनील जैन, पंकज जैन, डॉक्टर मनोज जैन, डॉक्टर सतेंद्र जैन सहित सैकड़ों साधर्मी बंधुओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।
यह आयोजन न केवल धार्मिक जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि समाज को एकजुट करने का भी प्रभावशाली संदेश देता है।