मोह ही भय और मृत्यु का कारण – आचार्य जगच्चन्द्रसूरी जी

“मोह से मुक्ति ही मोक्ष का मार्ग”
✍🏻 अंतिम युद्ध – संदीप सृजन

उज्जैन।
“मोह ही भय उत्पन्न करता है और मोह ही मृत्यु का कारण बनता है।” उक्त उद्गार स्वाध्याय प्रेमी आचार्य भगवंत श्री जगच्चन्द्रसूरी जी महाराज साहब ने रविवार को विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट स्थित सभागार में आयोजित प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संसार में तीन प्रकार के मनुष्य होते हैं –
1️⃣ जो चाहते हैं ‘मुझे सुख मिले’,
2️⃣ जो कहते हैं ‘हमें सुख मिले’,
3️⃣ और वे श्रेष्ठजन जो चाहते हैं कि ‘सभी सुखी हों’

जो सभी के सुख की कामना करता है, वही मोह से रहित होकर सच्चे धर्म का मार्ग पकड़ता है। मोह जब तक प्रबल है, तब तक मनुष्य सही मार्ग को पहचान नहीं सकता। संसार का आकर्षण मोहजन्य है, जबकि परमात्मा का शासन उपादेय है – स्वीकार्य और कल्याणकारी।

प्रवचन के दौरान आचार्य श्री कल्पयशसूरी जी महाराज साहब ने कहा कि सम्यक ज्ञान ही सम्यक दर्शन को जन्म देता है, और सम्यक दर्शन से ही समता भाव विकसित होता है – जो जीव को मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करता है। सम्यक दर्शन के बिना की गई कोई भी धार्मिक क्रिया निष्फल हो सकती है।

इस अवसर पर श्री संभवनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर (विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट) सहित नगर के कई संघों से बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित रहे।


🔹 आचार्य श्री का अगला प्रवास एवं चातुर्मास सूचना
सोमवार को आचार्य श्री श्री ऋषभदेव छगनीराम जैन तीर्थ पेढ़ी पर पधारेंगे, जहां उनके प्रवचन प्रातः 9:15 बजे से होंगे।

इस वर्ष आचार्य श्री सहित 35 साधु-साध्वी भगवंतों का चातुर्मास उज्जैन में श्री हीरविजयसूरी जी बड़ा उपाश्रय (खाराकुंआ) पर हो रहा है।

चातुर्मास का मंगल प्रवेश 👉 2 जुलाई को प्रातः 8 बजे
📍स्थान: श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर (अरविंद नगर) से शोभायात्रा प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए श्री हीरविजयसूरी जी बड़ा उपाश्रय (खाराकुंआ) पहुंचेगी, जहां धर्मसभा का आयोजन होगा।


🕊️ जैन समाज के लिए यह चातुर्मास आत्मोत्थान, संयम और साधना का सुनहरा अवसर है।

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