धर्म आराधना का पावन पर्व है चातुर्मास : आचार्य हरिकांत सूरीश्वरजी

भायंदर में होगा ऐतिहासिक चातुर्मास, चार माह तक चलेंगे धार्मिक अनुष्ठान

दीपक जैन, भायंदर।
शासनधारी गच्छाधिपति आचार्य श्री जयघोष सूरीश्वरजी म.सा. के कृपापात्र, प्रखर प्रवचनकार आचार्य श्री हरिकांत सूरीश्वरजी म.सा. एवं उनके साथ 12 साधु-साध्वी भगवंतों का ऐतिहासिक चातुर्मास भायंदर (पश्चिम) स्थित श्री पार्श्व-प्रेम श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में आयोजित किया जा रहा है। यह चातुर्मास जैन समाज के लिए आस्था, साधना और धर्म आराधना का अनुपम अवसर लेकर आया है।

गुरुदेव का नगर प्रवेश 29 जून की सुबह 7 बजे भव्य शोभायात्रा के साथ बावन जिनालय से प्रारंभ हुआ, जो श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर में धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। उनके साथ पधारे मुनिराजों में विवेकसार विजयजी, लब्धिनिधान विजयजी, देवांगरत्न विजयजी, पूर्णचंद्र विजयजी, योगपुण्य विजयजी म.सा. शामिल हैं। साथ ही साध्वी मंडल का भी प्रवेश हुआ, जिसमें साध्वी विपुलगुणा श्रीजी म.सा. सहित ठाणा-6 की साध्वियाँ चातुर्मासिक आराधना हेतु पधारी हैं।

विशेष धार्मिक आयोजन

इस चातुर्मास के अंतर्गत 44 दिवसीय सामूहिक सिद्धितप का विराट आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अधिकतम परिवारों की सहभागिता हेतु आह्वान किया गया है।

  • सामूहिक अत्तर पारणा : 15 जुलाई 2025, शाम 4:30 बजे
  • सिद्धितप शुभारंभ : 16 जुलाई, बुधवार, सुबह 8:15 बजे
  • राजाशाही पारणा : 29 अगस्त, शुक्रवार, सुबह 8:00 बजे

इस अवधि में प्रतिदिन सुबह 7:15 से 8:30 बजे तक प्रवचनमाला एवं प्रत्येक रविवार को भव्य विशेष कार्यक्रम सुबह 9:00 से दोपहर 12:00 बजे तक आयोजित किए जाएंगे।
इसके अलावा सांकेतिक आयंबिल तप, महापूजन, श्री माणिभद्र वीर हवन, एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की श्रृंखला चातुर्मास को अत्यंत आध्यात्मिक बना देगी।

चातुर्मास का उद्देश्य : आत्मशुद्धि और संयम

आचार्य श्री हरिकांत सूरीश्वरजी म.सा. ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि –
“चातुर्मास केवल परंपरा नहीं, यह आत्मशुद्धि, संयम और धर्मसाधना का उत्सव है। इस अवधि में की गई आराधना जीवन को दिशा देती है।”

कार्यक्रम में विधायक नरेंद्र मेहता सहित समाज के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
गुरुभगवंतों की पूजन का लाभ सांताक्रूज़ निवासी बाबूलाल रामाणी परिवार द्वारा तथा चढ़ावा हेमाबेन-जिग्येश परिवार (कांदिवली) द्वारा अर्पित किया गया।


 

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