जिसने जैन पत्रकारिता को नई जान दी – हार्दिक हुंडिया का नेतृत्व बना एक आंदोलन!”

राष्ट्रीय अध्यक्ष – ऑल इंडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आईजा)

सिर्फ नाम नहीं, जुनून है – हार्दिक हुंडिया। सिर्फ नेता नहीं, आंदोलन है – आईजा। और जब ये दोनों एक साथ हों, तो इतिहास बनता है।

भारत में जब पत्रकारिता व्यवसाय बनती जा रही थी, तब एक आवाज़ उठी – साफ, सशक्त और सिद्धांतों से लबालब। यह आवाज़ थी हार्दिक हुंडिया की। एक ऐसा नाम, जिसने जैन समाज की पत्रकारिता को सिर्फ संगठित नहीं किया, बल्कि उसमें आत्मा फूंक दी।

हार्दिक हुंडिया सिर्फ कुर्सी पर बैठा अध्यक्ष नहीं है, वह मैदान में उतरकर लड़ने वाला योद्धा है। वह सिर्फ भाषण देने वाला नेतृत्वकर्ता नहीं, सबको साथ लेकर चलने वाला मार्गदर्शक है। वह सिर्फ संगठन नहीं चलाता, विचारों की मशाल जलाता है। उन्होंने ऑल इंडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आईजा) को ऐसा प्लेटफॉर्म बना दिया है जो आज हर जैन पत्रकार के दिल की आवाज बन चुका है। उनके प्रयासों से देशभर में जैन पत्रकारों को सम्मान, मंच और मार्गदर्शन मिला है।

आज आईजा कोई औपचारिक संस्था नहीं, एक भावना बन चुकी है – एक ऐसा संकल्प, जो हर जैन पत्रकार के अंदर गर्व जगाता है। दिल्ली से चेन्नई तक, मुंबई से गुवाहाटी तक, हर जगह आज आईजा की गूंज है। हर राज्य में सक्रिय शाखाएं, मीडिया वर्कशॉप्स, अवॉर्ड समारोह और जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण शिविर – ये सब हार्दिक हुंडिया के विज़न की देन हैं।

हार्दिक हुंडिया का एक-एक शब्द आग है, एक-एक कदम बदलाव है। वे कहते हैं – “अगर पत्रकार निष्पक्ष नहीं, तो समाज अंधकार में है। और अगर जैन पत्रकार खामोश हैं, तो धर्म की मशाल बुझने लगेगी।” इसलिए उन्होंने जैन पत्रकारों को सिर्फ माइक नहीं थमाया, उन्हें साहस, दृष्टि और दिशा भी दी।

कोरोना काल हो या समाज में किसी जैन साधु के साथ अन्याय – हार्दिक हुंडिया सबसे आगे दिखे। प्रेस की आज़ादी की बात हो या धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार – हार्दिक हुंडिया ने हर बार आवाज़ बुलंद की। उन्होंने कई युवा पत्रकारों को व्यक्तिगत रूप से प्रेरित किया, मार्गदर्शन दिया और आगे बढ़ने का मंच दिया।

अब उनका अगला लक्ष्य है – ग्लोबल आईजा। हार्दिक हुंडिया आईजा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के मिशन में हैं। अमेरिका, कनाडा, दुबई और अन्य देशों में बसे जैन पत्रकारों को जोड़ने का अभियान तेज़ी से चल रहा है। उनका सपना है – “जहाँ भी जैन है, वहाँ आईजा हो। और जहाँ आईजा हो, वहाँ गर्व हो।”

यह सिर्फ लेख नहीं, जैन पत्रकारिता के स्वर्ण युग की दस्तक है। हार्दिक हुंडिया वो नाम है, जो इतिहास नहीं – भविष्य लिख रहा है। और ये शुरुआत है, अंत नहीं।

हर घर आईजा, घर-घर आईजा!

आईजा – आपकी शक्ति, आपका स्वाभिमान।

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