मोहनखेड़ा की ओर बढ़ रहे पुण्य सम्राट जयंतसेन सूरीश्वरजी के सुशिष्य 19 साधु महात्माओ का झाबुआ आगमन श्री संघ और परिषद परिवार ने की अगवानी

महावीर सन्देश – रिंकू रुनवाल झाबुआ l पुण्य सम्राट श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी के सुशिष्य एव वर्तमान गच्छाधिपति श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरीश्वरजी और आचार्य जयरत्न सूरीश्वरजी के अज्ञानुवत्ती मुनिराज पूज्य जिनआगम रत्न विजय जी आदि ठाणा-19 साधु महात्माओं का मेघनगर से सुबह ७/३० बजे झाबुआ नगर में महावीर बाग से प्रवेश हुआ ।परिषद परिवार की और से बताया गया कि पूज्यश्री जीनआगम आदि 19 साधु म सा का विहार अहमदाबाद से प्रारम्भ हुआ था जो की अब मालवा क्षेत्र में प्रवेश कर गया हे ।प्रत्येक गांव और नगर में सुंदर शासन प्रभावना हो रही है। जहां त्रिस्तुतिक श्री संघ का एक भी घर नहीं है, ऐसे गांव-नगरों में भी इतने सारे बाल मुनियों सहित महात्माओं का स्वाध्याय व विचरण हो रहा है, जिसे देखकर सभी आनंद-विभोर हो रहे हैं और चारित्र धर्म की जय-जयकार कर रहे हैं।इन 19साधु में ५ साधु नव दीक्षित साधु हे ।महावीर बाग से शोभा यात्रा निकली—— महावीर बाग में दर्शन वंदन कर शोभा यात्रा प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न मार्गो से होती हुई जिनालय पहुंची । यहाँ प्रभु और गुरु दर्शन वंदन कर पूर्व से विराजित गच्छाधिपति श्रीमद् विजय जयानंद सूरीश्वरजी, आचार्य दिव्यानंद सूरीश्वर जी आदि के दर्शन वंदन किए ।9:30 बजे धर्म सभा प्रारम्भ श्री राजेंद्र सूरी पोषधशाला के प्रवचन कक्ष में प्रारंभ हुई ।पाट पर पूज्य आचार्य जयानंद सूरीश्वरजी, आचार्य दिव्यानंद सूरीश्वरजी और मुनिराज जीनआगम रत्न विजयजी म सा विराजित थे । प्रवचन प्रारंभ हुए – सबसे पहले मुनिराज जीनआगम रत्न विजय जी म सा ने प्रवचन प्रारम्भ करते हुए कहाँ की नवपद में विराजित “सम्यक दर्शन पद “की महिमा के कारण ही नवपद आराधना महत्वपूर्ण हे और सम्यक दर्शन की प्राप्ति देव, गुरु की भक्ति किए बिना नहीं हो सकती हे ।आपने इन दिनों चल रही शाश्वत ओलीजी की आराधना में राजा श्रीपाल और पत्नी सुंदरी मयना के जीवन चारित्र की चर्चा करते हुए कहा की जीवन में गुरु के उपदेश को ग्रहण करने से ही सुख की प्राप्ति हो सकती हे जैसी की राजा श्री पाल और रानी मयना ने ग्रहण कर सुख को प्राप्त किया ।आपने कहा की यह नवपद ओली जी आराधना में श्रीपाल राजा और मयना का चारित्र यही शिक्षा देता हे की प्रत्येक जीव में शरीर को न देखते हुए उनमे विराजित शुद्ध आत्मा के दर्शन करना चाहिए ।आचार्य दिव्यानंद सूरीश्वर जी ने कहाँ कि हमे यह जिन शासन मिला हे इसका आध्यात्मिक महत्व को समझने का प्रयास करना आवश्यक हे । नवपद ओलीजी आराधना का संदेश भी यही हे की हमारी आत्मा को इस शरीर रूपी केद से मुक्त करने का यह सर्वश्रेष्ठ नव पद ओलीजी की आराधना ही हे ।पूज्य गच्छाधिपति आचार्य जयानंद सूरीश्वरजी ने कहा की जिन शासन में प्रभु आज्ञा को सर्वोपरि रखते हुए ,पालनयदिकरते हे तो मोक्ष की प्राप्ति संभव हे । सभा में संजय मेहता ने बताया कि नवपद ओलीजी आराधना के तीसरे दिन आचार्य पद की आराधना की गई । सम्पूर्ण आराधना कराने का लाभ धर्मचन्द्र डा ज्ञानचन्द्र मेहता परिवार ने लिया ।अंत में परिषद परिवार की और से प्रभावना वितरित की गई । परिषद परिवार द्वारा बताया गया की पूज्य ज़ीनाग़म रत्न विजयजी म सा और साधु-१९ की सात अप्रेल तक स्थिरता रहेगी ।फोटो- प्रवेश का ।

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