कर्मों की निर्जरा का सबसे श्रेष्ठ उपाय है तपस्या – साध्वी श्री सुपार्श्व निधि जी म.सा.

[ad_1]

चैत्रीय नवपद ओली आराधना का नवंम दिवस तप-उपासना से रहा ओतप्रोत

महिदपुर रोड, 13 अप्रैल (एन.एम.टी. न्यूज़ एजेंसी)।
स्थानीय श्री सुविधिनाथ जैन मंदिर परिसर स्थित राजेन्द्र सूरी ज्ञान मंदिर में विराजमान परम पूज्य साध्वी श्री सुपार्श्व निधि जी म.सा. ने शनिवार को आयोजित धर्मसभा में अपने सारगर्भित प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को ज्ञान की गंगा से सराबोर किया।

उन्होंने कहा कि भगवान ने कर्मों की निर्जरा के अनेक उपाय बताए हैं, जिनमें तपस्या को श्रेष्ठतम उपाय माना गया है। जैसे जल, वायु और भूमि की अनुकूलता से वनस्पतियां लहलहा उठती हैं, वैसे ही गुरुभगवंतों के सानिध्य में जीवन के प्रतिकूल परिस्थितियां भी अनुकूल बन जाती हैं।

उन्होंने कहा कि
“भव कौड़ी संचियं कम्मं, तवसा निज्जरिज्ज्इं”,
अर्थात तपस्या के माध्यम से करोड़ों भवों के संचित कर्मों की भी निर्जरा संभव है।
तप एक ऐसा आत्मिक बल है, जो व्यक्ति को मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करता है। भौतिक इच्छाओं से रहित तप आत्मा की शुद्धि एवं कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। साध्वी श्री ने आगे कहा:
“तप जीवन का अमृत है, तप जीवन की जलती जोत है, तप से होती कम निर्जरा, तप मोक्ष का श्रोत है।”

इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में सकल जैन श्रीसंघ, समाज के वरिष्ठ महानुभाव, श्रावक-श्राविकाएं बड़ी संख्या में उपस्थित होकर धर्मलाभ प्राप्त कर रहे हैं।

नवपद ओली आराधना के इस नवंम दिवस पर 30 तपस्वी श्रावक-श्राविकाएं मंगलकारी तप आराधना में लीन होकर पुण्यलाभ अर्जित कर रहे हैं। 9 दिवसीय यह महामंगलकारी आराधना 13 अप्रैल को पारणे के साथ सम्पन्न होगी।

तपस्वियों के बहुमान का सौभाग्य इस बार काठेड़ परिवार, महिदपुर रोड द्वारा प्राप्त किया गया।
जबकि नवपद ओली आराधना के नवंम दिवस की प्रभावना का लाभ श्री अशोक कुमार बापूलाल कोचर, मावावाला परिवार ने लिया।
साधार्मिक भक्ति एवं प्रवचन प्रभावना का लाभ सुरेशचंद, संदीपकुमार, प्रणयकुमार चत्तर परिवार द्वारा लिया गया।

इस संपूर्ण जानकारी से जैन समाज के मीडिया प्रभारी श्री सचिन भंडारी ने अवगत कराया।

– महावीर संदेश: सचिन भंडारी

[ad_2]

Source link

admin

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *