तेरा-बीस नहीं, आगम पंथी बनें: आर्यिका विजिज्ञासा श्री माताजी

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📍 इंदौर | 16 अप्रैल 2025 एन.एम.टी. न्यूज़ एजेंसी

दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय, छत्रपति नगर में आयोजित धर्मसभा में आर्यिका विजिज्ञासा श्री माताजी ने आज वर्तमान समाज की धार्मिक स्थिति पर गहन चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज व्यक्ति अहंकार और मतभेदों में उलझा हुआ है। कोई केवल देव को मानता है, कोई गुरु को नहीं मानता और कोई शास्त्र को नकार देता है — जबकि जैन धर्म में देव, शास्त्र और गुरु तीनों ही पूजनीय हैं।

🔸 आगम अनुसार जीवन जीने का आह्वान

माताजी ने कहा—

“आज समय की मांग है कि हम तेरा-बीस पंथी नहीं, बल्कि आगम पंथी बनें। जैन धर्म में विभाजन नहीं, संगठन की आवश्यकता है और यह तभी संभव है जब हम आगम अनुसार श्रद्धा और आचरण करें।”

उन्होंने यह भी कहा—

“भगवान को तो सब मानते हैं, लेकिन उनकी कही बातों को स्वीकार नहीं करते। भगवान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जीवन में आने वाला कष्ट हमारे अशुभ कर्मों का फल होता है, लेकिन इसे कोई स्वीकार नहीं करना चाहता। आगम में वर्णित प्रत्येक कथन को श्रद्धा से स्वीकार करना ही सम्यक दृष्टि है। जो इसे नहीं मानता, वह मिथ्यादृष्टि कहलाता है।”

🕯️ धर्मसभा की शुरुआत और संचालन

कार्यक्रम का शुभारंभ श्री कमल जैन, अतुल जैन और डॉ. जैनेंद्र जैन ने आचार्य विशुद्ध सागरजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया।
मंगलाचरण श्रीमती बलवंता जैन द्वारा प्रस्तुत किया गया।
ट्रस्ट अध्यक्ष श्री भूपेंद्र जैन ने धर्मसभा का संचालन किया।

📌 प्रवचन एवं विशेष कार्यक्रमों की जानकारी

धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन ‘दद्दू’ ने बताया कि माता जी के प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8:30 से 9:30 बजे तक जिनालय सभागृह में होते हैं।
संध्या समय 6:30 से 7:30 बजे तक उनके सान्निध्य में आनंद यात्रा, गुरु भक्ति एवं प्रश्न मंच जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


🕊️ जैन समाज को संगठन की ओर प्रेरित करती यह धर्मसभा, जैन आगम और आदर्शों के अनुरूप जीवन जीने का मार्गदर्शन प्रदान करती है।

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