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– प्राचीन भाषा के पुनरुत्थान की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल
सागर | 21 अप्रैल 2025 | एन.एम.टी. न्यूज़ एजेंसी
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्राकृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का गौरवपूर्ण दर्जा प्रदान किए जाने के उपलक्ष्य में, पूरे देशभर में प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर के आयोजन की राष्ट्रव्यापी योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है।
यह शिविर 1 मई 2025 से 30 मई 2025 तक भारत के प्रमुख स्थलों पर आयोजित किए जाएंगे।
इस ऐतिहासिक शिक्षण शिविर का आयोजन अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन शास्त्री परिषद एवं प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्राचीनतम एवं गौरवशाली प्राकृत भाषा के गहन अध्ययन और प्रचार-प्रसार को सुदृढ़ करना है।
विधिवत विमोचन समारोह का आयोजन
इस आयोजन के अंतर्गत सागर नगर के गौरव, विधायक श्री शैलेन्द्र जैन के करकमलों द्वारा शिविर की आधिकारिक पत्रिका एवं बैनर (पोस्टर) का विधिवत विमोचन किया गया।
विमोचन समारोह में राष्ट्रीय संयोजक डॉ. आशीष जैन आचार्य (शाहगढ़), क्षेत्रीय संयोजक पं. अनिल जैन (सागर), शिविर समन्वयक डॉ. हरिश्चंद्र जैन, प्रतिष्ठाचार्य पं. पवन दीवान, पं. राजेश जैन (सागर), सुनील सुधाकर द्रोणगिरि, सहित अनेक विद्वान एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इस अवसर पर माननीय विधायक महोदय को प्राकृत भाषा में प्रकाशित आधिकारिक पत्र ‘पाइय वाणी’ एवं प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन का विधान पत्र भेंट किया गया।
उन्होंने इस साहित्यिक-सांस्कृतिक पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए स्वयं को शिविर का संरक्षक बनने की स्वीकृति भी प्रदान की।
जैन आचार्यों का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन
शिविर आयोजन के लिए देश के अनेक प्रतिष्ठित जैन संतों का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से —
- आचार्य समय सागर जी महाराज (आचार्य विद्यासागर जी के आज्ञानुवर्ती)
- प्राकृताचार्य सुनील सागर जी महाराज
- चर्याशिरोमणि विशुद्ध सागर जी महाराज
- आचार्य वसु नंदी जी महाराज
- निर्यापक संत योग सागर जी महाराज (भाग्योदय तीर्थ) — जैसे पूज्य संतों की शुभकामनाएं शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, शिविर को संरक्षकत्व प्रदान करने हेतु अनेक समाजसेवी एवं उद्योगपति भी आगे आए हैं, जिनमें संतोष घड़ी (सागर), कपिल मालैया (सागर), डॉ. सुधा मलैया (दमोह) सहित अनेक प्रतिष्ठित नाम सम्मिलित हैं।
उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम एवं विद्वान शिक्षकों द्वारा शिक्षण
शिविर में प्राकृत भाषा से संबंधित उच्च स्तरीय पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाएगा, जिन्हें वरिष्ठ प्राकृत विद्वानों द्वारा संपादित किया गया है।
संपूर्ण शिविर की दिनचर्या और शिक्षण योजना का सुव्यवस्थित निर्धारण किया जा चुका है, जिससे प्रतिभागियों को श्रेष्ठ एवं प्रभावी ज्ञानवर्धक अनुभव प्राप्त हो सके।
भविष्य की भाषा जागरूकता का सशक्त माध्यम
प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर 2025 न केवल प्राचीन भाषा के पुनरुत्थान की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि युवाओं में भाषा के प्रति रुचि, संस्कृति के प्रति गौरव, और राष्ट्रीय चेतना को भी जागृत करेगा।
महावीर संदेश – डॉ. आशीष जैन आचार्य, राष्ट्रीय संयोजक
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