सहज और सरल होना ही साधुता है – उपाध्याय विश्रुतसागर महाराज

इंदौर, 24 अप्रैल 2025 | एन.एम.टी. न्यूज़ एजेंसी

छत्रपति नगर स्थित आदिनाथ जिनालय में विराजमान उपाध्याय मुनि श्री विश्रुतसागर जी महाराज ने ऋषभ सभा गृह में अपने मंगल प्रवचन में कहा कि सहज और सरल होना ही वास्तविक साधुता का प्रतीक है, जबकि राग, द्वेष, मान और कषाय से युक्त रहना असाधुता है।

उपाध्याय श्री ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी कषायों को जीत लेता है, वही सहज रहता है और वही सम्यक दृष्टि कहलाता है। सम्यक दृष्टि वाला जीव संसार, शरीर और भोगों से विरक्त रहता है, और ऐसा व्यक्ति ही मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है।

प्रवचन के दौरान धर्म समाज प्रचारक श्री राजेश जैन ‘दद्दू’ ने जानकारी देते हुए बताया कि उपाध्याय श्री ने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि हमारा जन्म आत्मा के कल्याण हेतु हुआ है, अतः पर की दृष्टि गौण होनी चाहिए।

मोह की चर्चा करते हुए मुनिश्री ने कहा, “मोह ही मिथ्यात्व है। जितना अधिक मोह करोगे, उतना अधिक दुख पाओगे। यदि आत्मा का कल्याण और सच्चा सुख चाहते हो तो मोह से विरक्ति अपनाओ और यह चिंतन करो कि मैं शरीर नहीं, आत्मा हूं।”

धर्मसभा का संचालन डॉ. जैनेंद्र जैन द्वारा किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जनों ने प्रवचन श्रवण कर धर्म लाभ प्राप्त किया।

— राजेश जैन ‘दद्दू’

admin

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *