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पट्टाचार्य पद पर आचार्य विशुद्ध सागर होंगे विराजमान, हजारों श्रद्धालु बनेंगे साक्षी
इंदौर, 30 अप्रैल 2025 | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
गांधीनगर स्थित सुमतिधाम में चल रहे 6 दिवसीय पट्टाचार्य महोत्सव के तीसरे दिन आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने अपने ओजस्वी प्रवचनों में कहा, “जीवन में विधि के बिना कुछ भी संभव नहीं है।” उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सब्जियां फ्रिज में सुरक्षित रहती हैं, वैसे ही मन को भी विधि के शीतगृह में रखकर शुद्ध और स्थिर बनाया जा सकता है।
इस अवसर पर नागपुर, हैदराबाद, सागर, भोपाल सहित देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं ने 12 आचार्यों को नवीन पिच्छी-कमंडल भेंट किए। पुरानी पिच्छी-कमंडल प्राप्त करने की होड़ भी देखी गई। भक्तों ने आचार्यश्री को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
पट्टाचार्य महोत्सव समिति, मनीष-सपना गोधा परिवार एवं श्री सुमतिनाथ दिगंबर जिनालय के अनुसार, मंगलवार को देशना मंडप में 11 आचार्य, 8 उपाध्याय एवं 140 मुनिराजों का पाद-प्रक्षालन हुआ। भट्टारक सम्मेलन में कर्नाटक से पधारे भट्टारक स्वामी का विशेष सम्मान किया गया।
आचार्य विशुद्ध सागर को मिलेगा पट्टाचार्य पद
बुधवार, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आचार्य विशुद्ध सागर महाराज को पट्टाचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। यह उपाधि उन्हें गणाचार्य विराग सागर जी की आज्ञा से प्रदान की जा रही है। सुबह 5.15 बजे से धार्मिक विधियों की शुरुआत होगी, जिसमें स्तुति, देव स्तवन, अभिषेक व शांतिधारा शामिल हैं।
सुबह 7 बजे से मुख्य पट्टाचार्य प्रतिष्ठा संस्कार होगा, जिसमें 36 विधियों के अंतर्गत कलश स्थापना, भूमि व स्थान शुद्धि, सिंहासन शुद्धि जैसे कार्य संपन्न होंगे। सिंहासन पर विराजमान कर उन्हें पट्टाचार्य घोषित किया जाएगा। मनीष-सपना गोधा परिवार को इस समारोह में माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
रात्रि में आरती, लेज़र व ड्रोन शो तथा सम्राट खारवेल नाटिका का मंचन विशेष आकर्षण रहेगा।
गुरु परंपरा की अमिट छवि
गौरतलब है कि गणाचार्य विराग सागर जी महाराज ने अपनी समाधि से एक दिन पूर्व वीडियो संदेश द्वारा आचार्य विशुद्ध सागर महाराज को संपूर्ण संघ का संचालन सौंपने की घोषणा की थी। 4 जुलाई 2024 को उनकी समाधि अत्यंत शांत भाव से जालना (महाराष्ट्र) में सम्पन्न हुई थी। उन्होंने 500 से अधिक शिष्यों को दीक्षा दी और 150 से अधिक साधुओं की समाधि कराई।
क्या है पट्टाचार्य पद
पट्टाचार्य वह होते हैं जिन्हें गुरु की आज्ञा से आचार्य पद पर विधिपूर्वक प्रतिष्ठित किया जाता है। यह पद सम्पूर्ण संघ — जिसमें आचार्य, मुनिराज, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक, ब्रह्मचारी आदि सम्मिलित हैं — का संचालन करता है। दीक्षा, प्रायश्चित, चातुर्मास स्वीकृति, स्वाध्याय और अनुशासन जैसे कार्यों का दायित्व पट्टाचार्य को सौंपा जाता है।
बच्चों के लिए जैन संस्कार युक्त गेम ज़ोन
सुमतिधाम बच्चों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां जैन पज़ल, तीर्थंकर छुपा-छुपी, जैन सांप-सीढ़ी जैसे खेलों के माध्यम से बालकों में धर्म के संस्कार विकसित किए जा रहे हैं। वर्चुअल रियलिटी के ज़रिए श्रवणबेलगोला व शिखरजी जैसे तीर्थों के दर्शन कराए जा रहे हैं।
अद्भुत व्यवस्थाएं और श्रद्धालुओं का सैलाब
65 एकड़ में फैले इस महोत्सव स्थल में वातानुकूलित व्यवस्था, ई-कार्ट सेवा, डॉर्मेट्री, ज्ञानशाला, प्ले ज़ोन, स्वर्ग-नरक रचना, समवशरण जैसी विशेष रचनाएं की गई हैं। गर्मी को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचकर धर्म लाभ ले रहे हैं।
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