पद्मश्री सम्मान के लिए चुने गए शहर के उद्योगपति डॉ. नेमनाथ जैन प्रेस्टीज समूह के पितामह के रूप में जाने जाते हैं। अविभाजित भारत और वर्तमान में पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी में 17 सितंबर 1931 को जन्मे नेमीनाथ विभाजन के बाद 16 साल की उम्र में इंदौर में आकर बस गए।




मिल में नौकरी करते हुए इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की
मिल में नौकरी करते हुए इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की। एसजीएसआईटीएस के पहली बैच में प्रथम आए थे। लंदन में जाकर ट्रेनिंग ली और बाद में प्रेस्टीज समूह बनाकर सोया उद्योग में शिखर छुआ। फिर शिक्षा समूह के तौर पर भी प्रेस्टीज की ख्याति फैलाई।
पुत्रों से उपहार के तौर पर समाज के लिए कुछ करने का वादा लिया
उद्योग में सफलता के बाद 60वें जन्मदिन पर डॉ.जैन ने अपने पुत्रों से उपहार के तौर पर समाज के लिए कुछ करने का वादा लिया। इसके बाद उन्होंने मैनेजमेंट शिक्षा के संस्थान खोले। सबसे पहले निजी मैनेजमेंट कॉलेज खोलने वालों में इस समूह का नाम शामिल है। इंदौर, देवास और ग्वालियर में चल रहे प्रेस्टीज के शिक्षण संस्थानों से अब तक 50 हजार विद्यार्थी उत्तीर्ण होकर देश-विदेश में कार्यरत हैं। अब वे विश्वविद्यालय की ओर बढ़ रहे हैं।
समाज और किसानों को समर्पित
पद्मश्री सम्मान को किसानों और समाज को समर्पित करते हुए डॉ.जैन ने कहा कि मेरे साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जुड़े लोगों की बदौलत यह सम्मान मिला है। सोयाबीन उत्पादक किसानों से मैं 88 वर्ष की उम्र में भी सीधे जुड़ाव महसूस करता हूं। सात दशकों में इंदौरियंस में गजब की उद्यमशीलता, आत्मीयता और अपनापन देखा है। इंदौर को प्रणाम करता हूं।