नीरू छाबड़ा जयपुर

कलाकार नीरू छाबड़ा के लिए चावल का अक्षर से प्रारंभ हुई कला यात्रा ने एक चावल पर 108 अक्षर लिख देश की प्रथम महिला कलाकार होने का गौरव प्राप्त किया । 2004 में मानतुंग आचार्य कृत आदिनाथ भगवान की स्तुति “भक्तामर स्त्रोत” लिखकर कलाकृति बनाई ,इस कृति में 48 काव्य 192 पंक्तियां में 2688 अक्षर है । इस स्रोत की प्रत्येक पंक्ति में 14 अक्षर है । एक काव्य 56 अक्षरों से पूर्ण होता है । “भक्तामर स्रोत” कलाकृति को भारत सरकार के मंत्रालय ने नेशनल मेरिट अवार्ड दे सूक्ष्म लेखन कला को मान्य किया। कल यात्रा के 40 वर्ष पूर्ण ,दुनिया में एक से बढ़कर एक अजूबे हैं जिन्हें देखकर ठगे से रह जाते हैं आज से 40 साल पहले कलाकार नीरू छाबड़ा ने ऐसा ही कुछ किया ।


2 जुलाई 1984 को चावलों से कलात्मक रिश्ता जोड़ने वाली कलाकार नीरू प्रदेश की नहीं भारत की एकमात्र महिला कलाकार है जिन्होंने इस अनूठे मध्य मध्य मध्य मध्य मध्य(चावल) को अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया और 1984 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को जयपुर यात्रा के समय बेहतर अक्षर लिखा चावल भेंट किया
कल कल यात्रा के 40 वर्षों में पर्यावरण व पानी के महत्व को दर्शाते हुए अनेक कलाकृतियां बनाई है ।700 चावलों पर लिख “पर्यावरण एक समग्र क्रांति “कृति भी बनाई है कलाकार नीरू छाबड़ा की मुख्य कलाकृतियां है भक्तामर स्तोत्र, अनेकता में एकता, लोकतंत्र के 50 वर्ष ,गीता सार ,गायत्री मंत्र, णमोकार मंत्र आदि।

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