आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज की अगवानी में उमड़ा जनसैलाब, इन्दौर में इतिहास बना पट्टाचार्य महोत्सव

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इन्दौर, 1 मई 2025 | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी

इन्दौर ने रविवार को जैन धर्म के इतिहास का एक अविस्मरणीय अध्याय देखा जब महावीर बाग से सुमतिधाम तक निकले भव्य मंगल प्रवेश जुलूस में दिगंबर जैन परंपरा के 388 संतों व आर्यिकाओं का ऐतिहासिक समागम हुआ। आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज के पट्टाचार्य महोत्सव के अंतर्गत आयोजित इस भव्य आयोजन में पूरे इन्दौर शहर में धर्म और श्रद्धा का उत्साह उमड़ पड़ा।

हजारों की संख्या में गुरू भक्त परिवारों एवं दिगंबर जैन समाज ने संतों की अगवानी की। तोपों की सलामी, रंगोली सजावट, कलशधारी महिलाओं, बैंड-बाजों, अश्व, ऊँट, हाथी और बग्घियों से सजे इस जुलूस की विशेषता रही हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा

इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सुमतिधाम पहुँचकर संतों से आशीर्वाद लिया और घोषणा की कि धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी लागू की जाएगी। उन्होंने कहा, “दिगंबर संतों के दर्शन से ही जीवन धन्य हो जाता है।”

जुलूस महावीर बाग से प्रारंभ होकर एरोड्रम रोड, कालानी नगर, एयरपोर्ट, गांधी नगर होते हुए सुमतिधाम पहुँचा। 7 किमी लंबे मार्ग पर 50 से अधिक मंचों से संतों की अगवानी की गई। सुमतिधाम पहुंचने पर देशना मंडप का उद्घाटन हुआ जहां आचार्यश्री ने प्रवचन एवं णमोकार मंत्र की व्याख्या करते हुए कहा, “गुरू आशीर्वाद से बड़ा कोई पद नहीं होता।”

महोत्सव में देशभर से आए 12 आचार्य, 8 उपाध्याय, 140 मुनि, 9 गणिनी आर्यिका, 123 आर्यिका माता, 105 ऐलक व क्षुल्लक शामिल हुए। सुमतिधाम पर 360 चौकों में आहारचर्या की व्यवस्था रही। रात्रि में लेजर शो, प्रोजेक्शन मैपिंग और आदिनाथ भगवान के जीवन पर आधारित नृत्य-नाटिका का भी आयोजन हुआ।

इस ऐतिहासिक आयोजन में दो दर्जन से अधिक किन्नर समाज के सदस्य भी संतों से आशीर्वाद लेने पहुंचे। उन्होंने कहा, “हम आशीर्वाद लेने आए हैं, ताकि हमारा भी जन्म सफल हो।”

आचार्यश्री के साथ गणाचार्य पुष्पदंत सागर जी, आचार्य प्रज्ञा सागर, सुंदर सागर, विशद सागर, विनम्र सागर, विभक्त सागर, उपाध्याय विशोक सागर सहित कई संत देशना मंडप में विराजमान रहे।

इस अवसर पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव समेत अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “इन्दौर की भूमि आज सच में धन्य हो गई, ऐसा दृश्य शहर ने कभी नहीं देखा।”


महावीर सन्देश – प्रदीप जैन


 

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