नागदा, 03 मई 2025 | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
जीने की कला विषय पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रसंत ने कहा –
“प्राप्त को पर्याप्त समझ ले, वह सबसे सुखी व्यक्ति”
आपको जो भी, जैसा भी मानव जीवन प्राप्त हुआ है, उसके लिए भगवान को धन्यवाद प्रेषित करें, क्योंकि आपके पास वह सब कुछ सुख-सुविधा है जिसका इंतजार अन्य व्यक्ति जीवन भर करते हैं। जिस व्यक्ति ने मानव जीवन जीने की कला को सिख लिया, उसके लिए मानव जीवन भगवान द्वारा दिया गया एक अनमोल प्रसाद बन जाएगा। यह बात राष्ट्रसंत उपाध्याय प्रवर श्री ललीतप्रभसागरजी मसा ने शुक्रवार सुबह 9:30 बजे लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित पाठशाला भवन में आयोजित जीने की कला विषय पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि इस दुनिया में दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं:
- एक व्यक्ति, जिसके पास गले में सोने की चेन है।
- दूसरा व्यक्ति, जो चैन से सोने वाला है।
सबसे ज्यादा वह व्यक्ति सुखी है, जो प्राप्त को पर्याप्त समझ कर चैन से सोने वाला है।
स्वयं को मोटिवेट कर सकारात्मक रहें
धर्मसभा में राष्ट्रसंत ने जीवन को सार्थक करने हेतु मूल मंत्र देते हुए कहा कि दूसरे व्यक्ति को सुधारने की अपेक्षा स्वयं में सुधार लाने का प्रयास करें और स्वयं को हमेशा अभिप्रेरित करते रहें। परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, हर परिस्थिति में सकारात्मक रहें। यदि किसी समस्या के समाधान पर अपने विचार रखने का मौका मिले तो ऐसी बात बोलें जिससे उदित हुई समस्या बढ़े नहीं, अपितु आप के द्वारा बोली गई बातों से समस्या का समाधान हो जाए।
सुख और दुख सतत् चलने वाली प्रक्रिया
जीवन में सुख और दुख कोई परिवार के सदस्य नहीं हैं जो स्थाई रूप से आपके साथ रहने वाले हैं, बल्कि सुख और दुख तो मेहमान हैं जो कुछ दिनों के लिए आते हैं और फिर चले जाते हैं। जो व्यक्ति सुख के दिनों में भी भगवान का स्मरण करता है, उसके जीवन में आने वाले दुखों के दिन भी सुख में बदल जाते हैं। इसलिए प्रतिपल भगवान का स्मरण करें और उन्हें धन्यवाद देने में कभी चूक न करें।
संस्कारों का बीजारोपण करें
यदि आपने युवा अवस्था में ही अपने बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण किया, तो जिस दिन आप वृद्ध अवस्था में पहुंचेंगे, उस दिन आपके घर पर संस्काररूपी वटवृक्ष बनकर तैयार हो जाएगा और आपकी वृद्धावस्था संवर जाएगी। जिस प्रकार आपने अपने बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण किया, वह अपनी आने वाली पीढ़ी में करेगा।
दुख दिया है तो दुख ही आने वाला है
मुनिश्री शांतिप्रियविजयजी मसा ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि आपने किसी को दुख दिया है, तो आपके पास दुख ही वापस आने वाला है। हम दुखों के बीज बोते हैं और सुखों की कामना करते हैं। याद रखें, जैसा हमारे किसी व्यक्ति के प्रति अहोभाव होगा, वैसा ही फल हमें प्राप्त होने वाला है। दुख बीज जैसे होते हैं, बीज एक लगाया जाता है और फल बहुत सारे आते हैं। इसलिए जितना हो सके उतना दूसरे व्यक्ति को सुख देने का बीजारोपण करने का प्रयास करें।
धर्मसभा में स्वागत उद्बोधन
श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष सालेचा व्होरा ने दिया, जबकि संचालन कोषाध्यक्ष मनोज वागरेचा और आभार संघ सचिव हर्षित नागदा ने व्यक्त किया।
सुबह प्रवेश, शाम को विहार
मीडिया प्रभारी डॉ. विपिन वागरेचा ने बताया कि राष्ट्रसंत का नगर प्रवेश शुक्रवार सुबह 7 बजे चंबल मार्ग से हुआ। वहीं, राष्ट्रसंत ने शाम 5 बजे ग्राम हताई के लिए पाठशाला भवन से विहार किया। राष्ट्रसंत ग्राम हताई में रात्रि विश्राम करेंगे और शनिवार सुबह 7 बजे उन्हेल में मंगल प्रवेश करेंगे।
धर्मसभा के दौरान श्रीसंघ के वरिष्ठ अभय चौपड़ा ने शुक्रवार रात्री में प्रवचन रखने की विनंती की। इस पर राष्ट्रसंत ने कहा कि वह अभी तो नागदा में अल्प प्रवास पर आए हैं, लेकिन हैदराबाद चातुर्मास करने के उपरांत दिसंबर माह में जब भी नागदा आने का योग्य बनेगा, तब वह तीन दिन धर्मसभा का आयोजन करेंगे।
महावीर संदेश – जीवन लाल जैन