जीवन रूपी जल की बूंद यमराज के प्रचंड से सूखे उसके पहले मुस्करा लो और खुद को भगवान के चरणों में समर्पित कर दो – आचार्य विशुद्ध सागर
विद्वानों के बीच हुई संगोष्ठी, जल बिंदु महाकाव्य पर नव पट्टाचार्य ने रखे वक्तव्य,
आंधी तूफान के बीच भी नहीं डिगा सुमतिधाम, आयोजित कार्यक्रमों के साथ लेजर शो, ड्रोन शो, सम्राट खारवेल नाटिका का सफल मंचन हुआ
इन्दौर, 03 मई 2025 | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
गांधी नगर गोधा एस्टेट के सुमतिधाम पर आयोजित पट्टाचार्य महोत्सव में लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने के बाद आज पांचवे दिन विद्वानों के बीच सफल जल बिंदु महाकाव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दो सत्रों में आयोजित संगोष्ठी में दक्षिण, उत्तर, पश्चिम और पूर्व से आए विद्वानाचार्यों ने अपने-अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के बाद नव पट्टाचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित किया।
उन्होंने मंगल प्रवचन में आचार्य विराग सागर द्वारा रचित जल बिंदु महाकाव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि बिंदु एक उत्कृष्ट शब्द है, क्योंकि पशु, पक्षी, मनुष्य सभी की उत्पत्ति बिंदु से हुई है। जल की बूंद ही नहीं, जल से उत्पन्न होने वाले वीर का बोध भी बिंदु है जो उत्कृष्ट साधना की ऊंचाई पर पहुंचाता है और सिद्ध परमात्मा बना देता है। इसलिए जल की रक्षा करो और शरीर रूपी इस बूंद की भी रक्षा करो, इससे प्राणों की रक्षा होगी और प्रण की भी रक्षा होगी और दोनों की रक्षा तुम्हें भगवान बना देगा।
आचार्य श्री ने दृष्टांत के माध्यम से बताया कि जैसे घास पर ओस की बूंद सूर्य की रोशनी में चमक उठती है और गर्मी से सूखकर खत्म हो जाती है, ठीक वैसे ही जीवन जल की बूंद भी यमराज के प्रचंड तेज से सूखकर समाप्त हो जाती है। जब तक बूंद पर ओस की चमक है, मुस्कुराओ और भगवान के चरणों में उसे चढ़ा दो।
उन्होंने एक और दृष्टांत देते हुए कहा कि जैसे एक व्यक्ति पानी की बूंद छत पर डालता है तो वह भाप बनकर उड़ जाती है, वहीं बूंद जमीन पर पढ़कर बीज को अंकुरित कर देती है। इसलिए कूल के वृद्धि कारक बनो, नाशक मत बनो। संगोष्ठी में पट्टाचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने सभी विद्वानों के उद्गारों की सराहना भी की।
सुमतिधाम के कार्यक्रमों में आकर्षण:
गुरू भक्त परिवार ने बताया कि जैन महाकुंभ के महोत्सव में बुधवार देर शाम आंधी-तूफान ने भी भक्तों की आस्था को डिगा नहीं पाया। देर शाम प्रोजेक्शन मेपिंग और लेजर शो के बाद मुंबई के कलाकारों द्वारा सम्राट खारवेल नाटिका का मंचन किया गया, जिसे देख धर्मावलंबी भाव-विभोर हो उठे। इसके बाद 2100 ड्रोन के माध्यम से एक दर्जन से ज्यादा आकृतियां आसमान में उकेरी गईं।
ड्रोन शो ने सबसे पहले अतिथियों का सत्कार किया और फिर आसमान में तिरंगे से “वंदे मातरम” लिखा। इसके बाद भारत माता का जयघोष गूंजा और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन मोहन यादव की आकृतियां प्रदर्शित की गई। सभी ने अपने मोबाइल के कैमरों में इस अद्भुत ड्रोन शो की प्रत्येक आकृति को कैद किया।
इसके बाद अयोध्या की तर्ज पर बने सुमतिधाम जिनालय की आकृति और भगवान सुमतिनाथ की प्रतिमा का साक्षात दर्शन हुआ।
महावीर संदेश – प्रदीप जैन