“धार्मिक क्रियाओं से ही होता है पुण्य का अर्जन” — मुनिश्री विलोकसागर

मुरैना के जैन मंदिर में सिद्धचक्र महामंडल विधान का दिव्य आयोजन, 1024 अर्घ्य समर्पण की हो रही पुण्य परंपरा

मुरैना | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
“धर्म के प्रति आस्था, मन की शांति और आत्मिक शुद्धि का मार्ग है — धार्मिक क्रिया और अनुष्ठान। जब व्यक्ति अपने इष्ट के प्रति भावपूर्वक पूजन करता है, तो वह पुण्य का अर्जन करता है, जो उसे जीवन की समस्त विघ्न-बाधाओं से मुक्त कर देता है।”
उपरोक्त प्रेरणादायी वचनों के माध्यम से पूज्य मुनिश्री विलोकसागर महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए धर्म की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया।

सिद्धों की आराधना का अद्वितीय आयोजन

बड़े जैन मंदिर मुरैना में यह धार्मिक आयोजन पूज्य मुनिश्री विलोकसागर महाराज एवं मुनिश्री विबोधसागर महाराज के पावन सान्निध्य में चल रहा है, जो 4 मई से प्रारंभ होकर 11 मई तक चलेगा।
इस आठ दिवसीय विधान में हर दिन अर्घ्य की संख्या दोगुनी होती है — प्रथम दिन 8 से लेकर अंतिम दिन 1024 अर्घ्य तक।
इस अलौकिक विधान की शृंखला में प्रतिदिन प्रातः 5.30 बजे जागरण, 5.55 पर शांतिधारा व पूजन, 7.40 पर विधान, 8.30 पर प्रवचन, तथा रात्रि 7.30 पर आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

प्राचीन परंपरा की पुनरावृत्ति : मैनासुंदरी की पुण्य कथा

इस विधान का ऐतिहासिक संदर्भ मैनासुंदरी और उनके पति श्रीपाल की कथा से जुड़ा है। जैन ग्रंथों के अनुसार श्रीपाल को कोढ़ था, जिसे मैनासुंदरी ने इसी सिद्धचक्र महामंडल विधान की शक्ति से ठीक किया।
आठ दिन तक जिनेंद्र प्रभु की पूजा कर, प्रतिदिन अभिषेक का जल अपने पति पर छिड़कती रहीं और आठवें दिन कोढ़ समाप्त हो गया। इस घटना ने सिद्धचक्र विधान को “विधानों का राजा” बना दिया।

संस्कृति और श्रद्धा का संगम

पूरे आयोजन में स्वर लहरी सैंकी एंड पार्टी फिरोजाबाद द्वारा संगीतमय आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जो श्रद्धालुओं के हृदयों को भावविभोर कर रहे हैं।

11 मई को होगा विश्व शांति महायज्ञ

आयोजन के अंतिम दिन 11 मई को प्रातः विश्व शांति की कामना के साथ महायज्ञ होगा।
सभी श्रद्धालु अग्निकुंड में आहुति अर्पित कर विश्व में शांति, करुणा और धर्म की स्थायित्व हेतु प्रार्थना करेंगे।
इसके पश्चात जिनेंद्र प्रभु के कलशाभिषेक, सम्मान समारोह और वात्सल्य भोज का आयोजन किया जाएगा।

पुण्यार्जक परिवार की सेवाभावना सराहनीय

यह पूरा आयोजन मुन्नालाल, राकेशकुमार, रोबिन जैन, गौरव जैन, सौरभ जैन एवं समस्त चोरम्बार जैन परिवार के सौजन्य से सम्पन्न हो रहा है।
इनकी अथक सेवा भावना, आस्था और सहयोग आयोजन की आत्मा बने हुए हैं।


महावीर संदेश – मनोज जैन “नायक”

“जहां धर्म होता है, वहां संकट स्वयं हट जाते हैं। सिद्धों की आराधना से ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। यह विधान आत्मा की शुद्धि और जीवन के कल्याण का महामंत्र है।”

 

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