“कलश” कृति का भव्य विमोचन: चावल के 481 दानों पर अंकित हुआ राष्ट्रसंत विराग सागर जी का अंतिम उपदेश

मुनि श्री 108 समत्व सागर जी कृति के बारे में बताते हुए

सूक्ष्म लेखन की अनुपम प्रतिभा, अध्यात्म और कला का अद्वितीय संगम बना सुमति धाम

इंदौर | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
जहाँ श्रद्धा, साधना और सृजनशीलता एक साथ एक मंच पर उतरती हैं, वहीं चमत्कारिक इतिहास रचा जाता है। ऐसा ही एक अद्वितीय एवं प्रभावशाली क्षण इंदौर के सुमति धाम सभा मंडप में साक्षात हुआ, जब जयपुर की सूक्ष्म लेखन कलाकार निरू छाबड़ा द्वारा निर्मित अप्रतिम कृति “कलश” का भव्य विमोचन समारोह संपन्न हुआ।


चावल पर सजी आध्यात्म की अमिट छाया – ‘कलश’ बना श्रद्धा का प्रतीक

कलाकार निरू छाबड़ा ने अपनी बारीक कलाकारी और आध्यात्मिक समर्पण से चावल के 481 दानों पर परम पूज्य राष्ट्रसंत गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज के अंतिम उपदेश को अंकित कर एक ऐसी कृति प्रस्तुत की, जो संघ के इतिहास में अमिट हस्ताक्षर बन गई है।
इस अनूठी रचना ने कला, साधना और श्रद्धा की त्रिवेणी को साकार कर दिया।


परम पूज्य आचार्य 108 विशुद्ध सागर महाराज ने किया विमोचन

इस उत्कृष्ट कृति का विमोचन परम पूज्य आचार्य 108 विशुद्ध सागर महाराज के करकमलों से हुआ। जैसे ही कृति का अनावरण हुआ, सभा मंडप भक्ति, आश्चर्य और भावनाओं के सम्मिलन से गूंज उठा। उपस्थित श्रद्धालुओं ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकार को सम्मान अर्पित किया।


मुनिश्री समत्व सागर जी ने दी कृति की व्याख्या

कार्यक्रम के दौरान मुनि 108 समत्व सागर जी महाराज ने आचार्य श्री को ‘कलश’ कृति में अंकित विराग सागर जी के उपदेशों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इस पर आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने गहरी सराहना करते हुए कहा –

“यह कृति केवल कला नहीं, अपितु गुरुवाणी की अमर छाया है। निरू बहन का यह समर्पण चिरस्मरणीय रहेगा।”


समाजजनों का उमड़ा उत्साह, संघ ने की मुक्त कंठ से प्रशंसा

इस अविस्मरणीय विमोचन समारोह में प्रदीप छाबड़ा, प्रतीक गंगवाल, सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।
दिगंबर जैन संघ के समस्त मुनियों ने कृति का गहन अवलोकन कर उसे आध्यात्मिक आस्था की अद्भुत मिसाल बताया।


महावीर संदेश – प्रदीप जैन

“जब कलम और श्रद्धा मिलती हैं, तो चावल के एक दाने पर भी ब्रह्मांड समा सकता है। निरू छाबड़ा की यह कृति ‘कलश’ न केवल सूक्ष्म लेखन की विजय है, अपितु वह संयम, श्रद्धा और गुरु भक्ति की जीवंत अभिव्यक्ति भी है।”

विमोचन के समय

 

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