मुरैना में आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारंभ, 11 मई तक होगा सिद्धों की आराधना
मुरैना | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
धार्मिकता, भावनाओं की शुद्धता और आध्यात्मिक साधना के संदेश के साथ बड़ा जैन मंदिर, मुरैना में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारंभ धूमधाम से हुआ। कार्यक्रम में मुनिश्री विलोकसागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए भावों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
“अच्छे भावों को करिए साकार, तभी मिलेगा जीवन में सद्गति”
मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा,
“मानव जीवन में भावों का अत्यंत विशेष महत्व होता है। दिनभर में हमारे मन में हजारों भाव आते हैं — कुछ शुभ होते हैं, कुछ अशुभ। परंतु जो व्यक्ति उन शुभ भावों को दृढ़ निश्चय और साहस से क्रियान्वित करता है, वही सच्चा धर्मात्मा होता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक कार्यों में बाधाएं आना स्वाभाविक है, लेकिन धार्मिक आयोजन वही कर पाते हैं जो भाग्यशाली और धर्म निष्ठ होते हैं। ऐसे आयोजनों से न केवल पुण्य का अर्जन होता है, बल्कि समाज को प्रेरणा भी मिलती है।
“सिद्धचक्र विधान – विधानों का सम्राट”
वहीं मुनिश्री विबोधसागर महाराज ने सिद्धचक्र विधान को “विधानों का राजा” बताते हुए कहा कि
“हर जैन श्रद्धालु को जीवन में एक बार अवश्य सिद्धचक्र विधान कराना चाहिए। यह विधान न केवल पापों के क्षय का कारण है, बल्कि इसके माध्यम से सांसारिक दुखों का भी नाश होता है।”
उन्होंने कहा कि धर्म से ही शांति, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आज से प्रारंभ, 11 मई तक चलेगा पुण्य का पर्व
मुनिश्री विलोकसागर एवं विबोधसागर महाराज के पावन सान्निध्य में आज 4 मई से श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारंभ प्रतिष्ठाचार्य पं. महेन्द्रकुमार शास्त्री एवं पं. राजेन्द्र शास्त्री (मंगरोनी, ग्वालियर) के मार्गदर्शन में हुआ।
घटयात्रा, पचरंगी ध्वजारोहण, भूमि-शुद्धि, पंडाल शुद्धि, मंडप शुद्धि तथा सकलीकरण जैसे विधिवत अनुष्ठानों के साथ विधान की शुरुआत हुई।
रात्रिकालीन कार्यक्रमों में दिखेगा अध्यात्म व संस्कृति का संगम
हर दिन प्रातःकालीन विधान के पश्चात रात्रि को गुरुभक्ति, आरती, शास्त्र सभा, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जो न केवल धर्मिक आनंद देगा बल्कि श्रद्धालुओं को सांस्कृतिक गौरव से भी जोड़ने का कार्य करेगा।
11 मई को होगा समापन, भावों की आराधना का पर्व
आठ दिवसीय इस अनुष्ठान का समापन 11 मई को होगा। समापन दिवस पर विशेष कलशाभिषेक, आभार समारोह, और वात्सल्य भोज का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के सम्मिलित होने की संभावना है।
महावीर सन्देश – मनोज जैन नायक
“सिद्धचक्र महामंडल विधान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, अपितु आत्मा की पवित्रता और भावों की उज्ज्वलता का उत्सव है। इससे प्राप्त होने वाला पुण्य, जीवन को नई दिशा और संकल्प को नवशक्ति प्रदान करता है।”