श्री धरणीधर पार्श्वनाथ जिनालय में ध्वजारोहण एवं स्थापना दिवस – भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का अनुपम संगम

 

(इंदौर | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी)

छोटा बांगड़दा स्थित हाईलिंक सिटी में अवस्थित कल्पतरू धाम श्री धरणीधर पार्श्वनाथ भगवान जिनालय ने अपनी भक्ति-भवन यात्रा के दस वर्ष पूर्ण करते हुए ध्वजारोहण, पूजन एवं धर्मसभा जैसे दिव्य आयोजनों के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा से वातावरण को सुवासित कर दिया।

इस पावन अवसर पर प्रातः 7 बजे से 12 बजे तक चली धार्मिक विधियों में सैकड़ों श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं ने भावपूर्ण भागीदारी निभाई। मंदिर प्रांगण जिनवाणी के जयकारों, मंगल पाठ एवं भक्तिरस में डूबे श्रद्धालुओं की उपस्थिति से पूर्णत: आभामय प्रतीत हो रहा था।

ध्वजारोहण एवं पूजन विधि

मंदिर के दसवें स्थापना वर्ष के उपलक्ष्य में हुए ध्वजारोहण का सौभाग्य मंदिर ट्रस्ट से जुड़े श्रद्धेय विजय मेहता को प्राप्त हुआ। पूजन, अभिषेक और जिनेन्द्र वंदन की विधियां विधिपूर्वक संपन्न हुईं।

महाराजश्री का प्रेरणादायक संदेश

पूज्य विजय पीयूष भद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब ने धर्मसभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा:

“यदि जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाना है तो समर्पण, एकाग्रता और जिनवाणी के प्रति आदरभाव अत्यंत आवश्यक है। संसार की सुविधाएं चाहे जितनी भी जोड़ लो, लेकिन यह शरीर एक दिन राख ही बनना है। इस भवसागर से तिरने का एकमात्र साधन है – जिनभक्ति।”

उनकी ओजस्वी वाणी ने श्रद्धालुओं के अंतर्मन को झकझोरते हुए आत्मचिंतन के भाव जगाए।

धार्मिक आस्था का प्रतीक बना जिनालय

दस वर्षों की साधना और सेवा से समृद्ध इस मंदिर ने न केवल जैन समाज बल्कि समूचे क्षेत्र में धार्मिक चेतना और सांस्कृतिक एकता का सशक्त केंद्र बनकर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

समाज की एकजुट सहभागिता

इस आयोजन में महिला मंडल, युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों सहित समाज के विभिन्न वर्गों ने भक्ति व समर्पण के साथ सहभागिता की। वातावरण में गूंजती “धरणीधर भगवान की जय!” की स्वर लहरियों ने पूरे परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।


ऐसे आयोजन समाज को आध्यात्मिक प्रेरणा ही नहीं देते, बल्कि पीढ़ियों को संस्कार, सेवा और समर्पण की राह भी दिखाते हैं।


– महावीर संदेश / मनीषा जैन

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