“आस्था के साथ की गई भक्ति ही होती है सार्थक” – मुनिश्री विलोक सागर महाराज

 

सिद्धचक्र विधान के छठवें दिन मुरैना में उमड़ा श्रद्धा और साधना का सागर

मुरैना | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
बड़ा जैन मंदिर मुरैना में चल रहे श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के छठवें दिन धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिगंबर जैन आचार्य मुनिश्री विलोक सागर महाराज ने कहा –
“पूजा तभी फलदायी होती है जब उसमें आस्था का अमृत समाया हो।”
जब हम जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाओं के समक्ष नतमस्तक होते हैं, तब केवल परंपरा के निर्वाह से नहीं, बल्कि यह विश्वास होना चाहिए कि साक्षात प्रभु हमारे सामने विराजमान हैं। भले ही संसार उन्हें पाषाण कहे, लेकिन हमारे लिए वे आस्था के जीवंत स्वरूप हैं।

🌿 आस्था – सबसे अमूल्य संपत्ति

मुनिश्री ने कहा, “जिसके पास आस्था है, वह संसार का सबसे अमीर व्यक्ति है। आस्था से की गई आराधना ही आत्मा को बंधनों से मुक्त करती है। बिना आस्था के किया गया पूजन, केवल क्रियाविधान मात्र है, जिसका कोई आध्यात्मिक फल नहीं है।”


🔥 “ईश्वर से नहीं, अपने कर्मों से डरिए”

मुनिश्री ने स्पष्ट कहा – “हम दिनभर पाप करते हैं और मंदिर जाकर भगवान से क्षमा माँगते हैं। याद रखें, ईश्वर क्षमा कर सकते हैं, गुरु क्षमा कर सकते हैं, लेकिन कर्म कभी क्षमा नहीं करता। उसने जो परिणाम तय किए हैं, वह आपको भोगने ही होंगे।”
“कर्म ही आपकी गति, दशा और दिशा तय करता है।” इसलिए हर कर्म से पहले विचार करें – क्या यह ऐसा पाप है जिसे ईश्वर भी माफ न कर सके?


🌺 श्मशान सत्य और जीवन की सच्चाई

अपने प्रवचन में मुनिश्री ने भावुक कर देने वाला जीवन सत्य भी उजागर किया –
“जब आपकी जीवन यात्रा समाप्त होगी, तब श्मशान की ओर जाते समय आपके साथ न मित्र होंगे, न शत्रु। जिनके लिए आपने जीवन अर्पित किया, वे भी पीछे छूट जाएंगे।”
इस भाव को इन पंक्तियों ने और भी मार्मिक बना दिया –
“जिसके सुख-दुखों में नहीं था वास्ता,
आज उसके कंधों पर कट रहा है रास्ता…”


🌳 जंगल की आग का उदाहरण – जीवन की क्षणभंगुरता

मुनिश्री ने एक दृष्टांत देते हुए बताया –
“जंगल में लगी आग से बचने के लिए एक व्यक्ति पेड़ पर चढ़ गया। वह अन्य पेड़ों के जलने का दृश्य देखकर संतुष्ट हो रहा था, पर यह भूल गया कि अगली बारी उसी पेड़ की है जिस पर वह बैठा है। यही भूल हम भी कर रहे हैं – समझते हैं कि हमें कुछ नहीं होगा, पर मृत्यु सबकी निश्चित है।


🙏 धौलपुर जैन समाज का भावपूर्ण आमंत्रण

आज धौलपुर जैन समाज के श्रद्धालुजनों ने पूज्य युगल मुनिराजों का भावपूर्ण स्वागत कर धौलपुर आगमन हेतु श्रीफल समर्पित किया। समाज के प्रमुख सदस्यों ने निवेदन किया कि गुरुदेव धौलपुर में पदार्पण करें, जिससे समाज भी आपके ज्ञानामृत से लाभान्वित हो सके।

मुख्य रूप से उपस्थित रहे:
धनेश जैन (अध्यक्ष), अमित जैन सोनू (महामंत्री), राम भरोसी लाल जैन, प्रवास जैन (उपाध्यक्ष), पवन कुमार जैन (धर्मशाला अध्यक्ष), राजकुमार जैन (बर्तन फैक्ट्री), सुनील कुमार जैन (स्टेशन मास्टर), कृष्णमोहन जैन (मंत्री), अनिल कुमार जैन (ध्वजवाहक) सहित अनेक श्रद्धालु।


🕊️ “भक्ति और कर्म का संतुलन ही मोक्ष का मार्ग है” – मुनिश्री विलोक सागर महाराज
🪔 महावीर संदेश – मनोज जैन नायक


 

admin

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *