छत्रपति नगर जिनालय में गूंजा आत्मज्ञान का स्वर, आहार सहित धर्मसभा संपन्न
इंदौर | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
“जीवन है पानी की बूंद, कब मिट जाए रे…” इस जीवनसत्य को शब्दों में ढालने वाले उच्चारणाचार्य, आचार्य विनम्र सागर जी महाराज ने आज छत्रपति नगर के दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय में आयोजित धर्मसभा में आत्मा की गहराइयों को स्पर्श करते हुए कहा –
“संसार में जो रच-बस गया है, वही सबसे अधिक भ्रांत है। संसार असार है, और हम असार को ही सार समझ बैठे हैं।”
🌼 “सार को पाना है तो पुरुषार्थ करना होगा”
मुनिश्री ने कहा –
“जो वस्तु प्राप्त है, वह असार है; जो सार है वह दिखता नहीं।
दूध में घी है, मिट्टी में सोना है — सार सदा छिपा होता है।
असार से ही सार निकलेगा, लेकिन उसके लिए विधिपूर्वक पुरुषार्थ करना पड़ेगा।”
उन्होंने आगाह किया कि संसार बढ़ाना जीवन की सार्थकता नहीं है, बल्कि संसार का त्याग ही मुक्ति का द्वार खोलता है। हमें अपने जीवन के सार को समझकर धर्म की ओर अग्रसर होना चाहिए।
🔱 श्रावक के कर्तव्य बताए मुनि विनत सागर जी ने
धर्मसभा में मुनि श्री विनत सागर जी महाराज ने भी प्रवचन करते हुए कहा –
“सच्चा जैन वही है जो अष्ट मूलगुणों और श्रावक के छह आवश्यक कर्तव्यों – देव पूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप और दान – का नियमित पालन करता है।”
उन्होंने श्रद्धालुओं से आत्ममंथन का आग्रह करते हुए कहा कि जीवन में संयम और साधना ही सही दिशा दे सकते हैं।
🙏 धर्मसभा का संचालन और विशिष्ट उपस्थिति
इस धर्मसभा का कुशल संचालन जिनालय ट्रस्ट अध्यक्ष श्री भूपेंद्र जैन द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री विनत सागर जी के गृहस्थ जीवन के पिताश्री महेशचंद्र जैन, हीरालाल शाह, अरविंद सोधिया, रूपचंद जैन, आलोक जैन, वीरेंद्र जैन सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।
🍽️ डॉ. जैनेंद्र जैन परिवार को मिला आहार का पुण्य सौभाग्य
इस पुण्य अवसर पर डॉ. जैनेंद्र जैन (कार्याध्यक्ष, जिनालय ट्रस्ट) के परिवार को आचार्य विनम्र सागर जी महाराज को नवधा भक्ति सहित निरंतराय आहार कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
आहार के इस पुनीत क्षण में उपस्थित रहे –
राजेश जैन दद्दू (धर्म प्रचारक), श्रीमती मुक्ता जैन, सुरेखा रसिया, मीना जैन, रजनी जैन, रचना जैन टारगेट, सुरेखा जैन गुना, साधना जैन, महिपाल बगड़िया, और देवेंद्र जैन हीरु।
🕊️ “संसार की धारा से हटकर, आत्मा के सार की ओर बढ़ो” – आचार्य विनम्र सागर जी महाराज
🪔 महावीर संदेश – राजेश जैन दद्दू