जैन तीर्थ नवागढ़ में आहारदान एवं गुरुकुल भोजनशाला की सुव्यवस्थित व्यवस्था

 

संतों व विद्यार्थियों के लिए शुद्ध आहार सेवा में सभी से सहयोग की अपील

मुरैना | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
भारत का एकमात्र भगवान अरहनाथ स्वामी का प्राचीन दिगंबर जैन अतिशय तीर्थनवागढ़, न केवल साधु-साध्वियों का वास स्थल है, बल्कि यहां चल रही आहारशाला और गुरुकुल भोजनशाला देशभर के श्रद्धालुओं के लिए पुण्यार्जन का सशक्त माध्यम बन रही है।

इस तीर्थ क्षेत्र में संतों, साध्वियों और ब्रह्मचर्य व्रती आर्यिकाओं के लिए एक स्वतंत्र एवं सुचारू आहारशाला चलाई जा रही है। इसके साथ ही गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के लिए निशुल्क शुद्ध भोजन व्यवस्था भी संचालित है।

प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार निशांत ने की सहयोग की विनम्र अपील

दिगंबर जैन तीर्थ कमेटी के निर्देशक व सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी जयकुमार निशांत (टीकमगढ़) ने जानकारी दी कि आज के समय में साधुओं के योग्य आहार की व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए कठिन हो रही है — स्थान की कमी और आहार की शुद्धता की समस्या के कारण वे चाहकर भी सेवा नहीं कर पा रहे।

ऐसे में नवागढ़ तीर्थ में एक स्वतंत्र भोजनशाला व्यवस्था तैयार की गई है, जहां कोई भी श्रद्धालु ₹11,000/- वार्षिक योगदान देकर आहारदान योजना में सम्मिलित होकर पुण्य का भागी बन सकता है।

गुरुकुल भोजन योजना: शुद्ध आहार, शुद्ध विचार

यहां स्थित श्री नवागढ़ गुरुकुलम् में 35 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन बच्चों को शुद्ध व सात्विक भोजन उपलब्ध कराने के लिए अन्नदान योजना चलाई जा रही है।

आप निम्न माध्यमों से वार्षिक सहयोग कर सकते हैं:

  • ₹3,100/-: एक बोरी गेहूं
  • ₹6,100/-: चावल, दाल, गुड़, घी व अन्य आवश्यक सामग्री

इस प्रकार आप बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और शुद्ध जीवन निर्माण में सीधा योगदान दे सकते हैं।


आपके सहयोग की प्रतीक्षा है

नवागढ़ क्षेत्र में समय-समय पर आचार्य, मुनिराज व आर्यिकाओं का श्री विहार होता रहता है। साथ ही, व्रती श्रद्धालु संयम, साधना और तपस्या के लिए इस क्षेत्र में पधारते हैं। यह क्षेत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति का केंद्र है, बल्कि प्राचीन पुरा संपदा, शैलाश्रय, और शुद्ध वातावरण का अद्भुत संगम भी है।


आपके लिए विशेष निमंत्रण

भगवान अरहनाथ स्वामी के अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में पधारें।
यहां श्री जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक, शांति धारा, पूजा, विधान आदि करके अपने जीवन को पुण्यमय बनाएं। आप सपरिवार व इष्टमित्रों सहित इस दिव्य तीर्थ पर आकर पुण्यार्जन करें और संत व गुरुकुल छात्रों के आहार में सहयोगी बनें।


महावीर संदेश – मनोज जैन नायक


 

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