जैन भगवती दीक्षा एवं अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव में मिला थांदला श्रीसंघ को जनसहयोग, लाभार्थी परिवारों ने जताया आभार
थांदला | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर थांदला नगर में आयोजित जैन भगवती दीक्षा एवं 334 वर्षीतप आराधकों के पारणा महोत्सव का आयोजन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जाओं से अनुप्राणित रहा, बल्कि यह शासन-प्रशासन, समाजसेवी संस्थाओं और सकल समाज के समन्वय से एक आदर्श आयोजन के रूप में इतिहास में दर्ज हो गया।
पूज्य धर्मदास गण प्रमुख पूज्य गुरुदेव सौभाग्य-सूर्य-उमेशाचार्य जी के दिव्य आशीर्वाद व प्रवर्तक देव पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. आदि ठाणा 26, पूज्या श्री मधुबालाजी, धैर्यप्रभाजी, संयमप्रभाजी, पुण्यशीलाजी, निखिलशीलाजी आदि ठाणा 34 के परम पावन सान्निध्य में यह भव्य आयोजन संपन्न हुआ।
इस आयोजन में मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों से 20,000 से अधिक गुरुभक्तों की उपस्थिति रही। जिनके आतिथ्य सत्कार व संयम तप की अनुमोदना का पुण्य स्व. शांताबाई सुरेन्द्रकुमार तलेरा परिवार, दीक्षार्थी द्वय के श्रीमती ताराबाई भंसाली परिवार तथा सुजानमल शाहजी परिवार द्वारा ग्रहण किया गया।
शासन, सेवा संगठनों और समाज की त्रिवेणी से मिला उत्सव को बल
थांदला सकल जैन श्रीसंघ के साथ-साथ हिंदू सामाजिक संगठन, सेवा भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, नगर प्रशासन और अनेक जेनेत्तर सामाजिक संगठनों ने भी समर्पणपूर्वक भागीदारी निभाई।
संघ अध्यक्ष भरत भंसाली, सचिव प्रदीप गादिया, संयोजक हितेश शाहजी, दीक्षार्थी परिवार से अनिल भंसाली, लाभार्थी परिवार से प्रफुल्ल तलेरा एवं मयूर तलेरा, प्रवक्ता पवन नाहर, समकित तलेरा, दीपक रुनवाल एवं प्रतीक पावेचा आदि नगर परिषद पहुंचे और अध्यक्ष प्रतिनिधि सुनील पणदा, पार्षद समर्थ उपाध्याय, एसडीएम तरुण जैन सहित अन्य अधिकारियों को शाल-माला पहनाकर सम्मानित किया। वहीं एसडीओपी श्री रविंद्र राठी और थाना प्रभारी ब्रजेश मालवीय को दूरभाष के माध्यम से धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
भंसाली बोले – बगैर सहयोग किसी आयोजन की कल्पना अधूरी
श्रीसंघ अध्यक्ष भरत भंसाली ने इस अवसर पर कहा:
“कोई भी बड़ा आयोजन सिर्फ समाज की भावना से नहीं, बल्कि समाजसेवी संगठनों व प्रशासन के सक्रिय सहयोग से ही सफल होता है। हमारी विनम्र अपील पर प्रशासन ने जिस समर्पण से सफाई, यातायात और सुरक्षा जैसी व्यवस्थाओं को सुचारु बनाए रखा, वह प्रशंसनीय है।
सेवा भारती, विश्व हिंदू परिषद एवं अन्य संगठनों ने जिस तत्परता से कार्य किया, वह इस आयोजन को यादगार बना गया। नगर के युवा स्वयंसेवकों ने भोजनशाला जैसी व्यवस्थाओं में जो योगदान दिया, वह भी अत्यंत सराहनीय है। यह हमारा धर्म है कि हम सभी का आभार व्यक्त करें और इस समर्पण भावना को सहेज कर रखें।”
भंसाली ने अंत में कहा कि जैसे-जैसे संतों का विहार होता है और सामाजिक आयोजनों की संख्या बढ़ती है, प्रशासन और समाज के बीच यह सहयोग निरंतर बना रहना चाहिए — यही अपेक्षा है।
महावीर संदेश – पंकज चौरड़िया