पांच दिवसीय धार्मिक संस्कार शिविर संपन्न — विभिन्न राज्यों से 500 जैन बच्चों ने लिया भाग

धार्मिक संस्कार शिविर जीवनभर के गुणों की रक्षा करता है — तत्वज्ञ मुनिश्री धर्मेन्द्र जी
मेघनगर | एनएमटी न्यूज एजेंसी | 

आज की भागदौड़ और शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा के युग में बच्चों के जीवन से धार्मिक मूल्यों और संस्कारों का लोप माता-पिता की प्रमुख चिंता बन गया है। इसी चिंता का समाधान है – धार्मिक संस्कार शिविर, जहां बालमन को धर्म, संयम और आत्मबोध की गहराई से जोड़ा जाता है।

इसी क्रम में धर्मदास गण संप्रदाय के परम उपकारी आचार्य भगवंत उमेश मुनिजी म.सा. के प्रथम शिष्य प्रवर्तक जिनेन्द्र मुनिजी म.सा. की संत-सती मंडली के सान्निध्य में पांच दिवसीय आवासीय धार्मिक संस्कार शिविर का आयोजन हुआ, जिसका लाभ श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ, मेघनगर को प्राप्त हुआ।

🔸 देशभर से आए 500 बाल प्रतिभागी

  • यह शिविर अनेक राज्यों से आए लगभग 500 जैन बालक-बालिकाओं की सहभागिता से जीवंत और प्रेरक बन गया।
  • बच्चों को प्रातः से सायं तक विभिन्न धार्मिक विषयों पर क्लासेस, संवाद, प्रश्नोत्तरी और खेलों के माध्यम से शिक्षित किया गया।

🔹 समापन समारोह बना संस्कारों की शक्ति का साक्षात मंच

शिविर का समापन पूज्य तत्वज्ञ मुनिश्री धर्मेन्द्र जी म.सा. एवं संत-सती मंडली के सान्निध्य में हुआ।
मुनिश्री ने अपने आशीर्वचनों में कहा —

धार्मिक संस्कार जीवन का वह टिका (टीका) है, जो मनुष्य को बुराइयों से बचाकर उसके गुणों की रक्षा करता है। यदि बाल्यकाल में धर्म की नींव नहीं डाली गई, तो भविष्य में धर्म भी एक प्रश्नचिह्न बनकर रह जाएगा।”

🌸 संघ, परिषद व संगठन का सामूहिक योगदान

  • श्री धर्मदास गण परिषद एवं युवा संगठन के पदाधिकारियों का संगठन, समर्पण और सेवा हेतु श्री संघ मेघनगर द्वारा अभिनंदन किया गया।
  • आयोजन के अंत में बच्चों के उत्साहवर्धन हेतु पुरस्कार वितरण भी किया गया।

🏡 पांच दिवसीय आतिथ्य सत्कार का दायित्व

पूरे शिविर के दौरान मेघनगर संघ ने:

  • आवास, भोजन, शिक्षण, सामग्री और सेवा का अतुलनीय प्रबंध किया।
  • सभी आगंतुकों के हृदय में संघ के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का भाव उत्पन्न हुआ।

🎤 संचालन और संयोजन

पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन विपुल धोका और राजेश कोठारी द्वारा किया गया, जिन्होंने प्रत्येक क्षण की योजना और दिशा को सुनियोजित रूप से क्रियान्वित किया।


“संस्कार वह अमृत है जो जीवन को दिव्यता देता है — और शिविर वह यज्ञ है जिसमें यह अमृत सिंचित होता है।”
— महावीर संदेश | जयेश झामर

 

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