धर्म और विज्ञान का संवाद: जैनत्व बाल युवा शिक्षण शिविर के द्वितीय दिन मंचित हुई ‘आज की अदालत’

 

विदिशा। | एनएमटी न्यूज एजेंसी |

जिन देशना प्रथम आध्यात्मिक जैनत्व बाल युवा शिक्षण शिविर के द्वितीय दिन श्रद्धा और उत्साह की अनूठी झलक देखने को मिली। प्रातः भगवान के शांतिपूर्ण प्रक्षाल एवं संगीतमय पूजन के साथ दिन का शुभारंभ हुआ। इसके पश्चात शिविरार्थियों के लिए प्रेरणादायी कक्षाएं संचालित की गईं।

मुंबई से पधारे निखिल भैया ने प्रख्यात छहढाला ग्रंथ पर विशेष प्रवचन दिया। यह ग्रंथ पंडित दौलतरामजी द्वारा रचित है, जिसमें 16 छंद और 6 अधिकारों के माध्यम से जीवन के मूलभूत प्रश्नों — दुःख क्या है, उसका कारण क्या है, और उससे मुक्ति कैसे संभव है — का गंभीर विश्लेषण किया गया है। उन्होंने समझाया कि स्व और पर का भेदज्ञान प्राप्त कर जीव अपने भीतर सुख की अनुभूति कर सकता है।

सांयकालीन कार्यक्रम की विशेष झलक रहा – ‘आज की अदालत’ नामक नाट्य मंचन, जिसे सचि बड़कुल के निर्देशन में 20 बच्चों ने प्रस्तुत किया। इस प्रभावशाली प्रस्तुति में धर्म और विज्ञान के बीच के तथ्यों और सिद्धांतों पर रोचक व तार्किक संवाद हुआ। नाटक में यह दर्शाया गया कि कैसे जैन धर्म का सदियों पुराना विज्ञान आज के आधुनिक विज्ञान से मेल खाता है – जैसे पानी को छानकर पीना, सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति को मानना, तत्व और द्रव्य की अवधारणा।

प्रवक्ता शोभित जैन ने बताया कि नाटक ने बच्चों के चिंतन को जाग्रत किया और उपस्थित जनों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित किया। इसके अतिरिक्त दिनभर चली विभिन्न कक्षाओं में बच्चों ने साधना, स्वाध्याय और नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्राप्त की।

कार्यक्रम का संचालन चिरंतन बड़कुल, पूजन संचालन काव्य जैन व चिरंतन द्वारा किया गया। कक्षाएं क्रमशः सुधार्शना जैन, प्रेरक जैन, ध्रुव बड़कुल, अशेष मोदी आदि के मार्गदर्शन में संपन्न हुईं। स्वल्पाहार की जिम्मेदारी गगन जैन, हर्षित मोदी, आदि जैन ने संभाली, जबकि ऑटो व अन्य व्यवस्थाएं कपिल जैन, स्वप्निल पटेल व जैनम जैन द्वारा संचालित की गईं।

विशेष बात यह रही कि शिविर में श्रद्धालुओं और युवाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, जो बताता है कि यह शिविर केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति और वैज्ञानिक सोच का संगम बन चुका है।

– महावीर संदेश, शोभित जैन

 

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