श्रमण संस्कृति का गौरवमयी क्षण: महामहिम आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी म.सा. ससंघ का उज्जैन नगरी में ऐतिहासिक मंगल प्रवेश

 

📍 उज्जैन | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |

धर्मनगरी उज्जैन की पावन भूमि पर रविवार का दिन आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति रस से सराबोर हो उठा, जब श्रमण संस्कृति के प्रतीक, तप और संयम के तेजस्वी सूर्य, पट्टाचार्य पद से विभूषित महामहिम आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी म.सा. ससंघ (38 पिच्छिका सहित) का प्रथम बार उज्जैन में भव्य मंगल प्रवेश हुआ।

✿ कार्यक्रम की शुरुआत सिंधी कॉलोनी से हुई, जहां से हजारों की संख्या में गुरु भक्तों ने जिनध्वज के साथ चल समारोह प्रारंभ किया। शोभायात्रा ने जुलूस टॉवर, चामुंडा माता चौराहा, कोयलाफाटक, निजातपुरा, बियाबानी, विडी मार्केट चौराहा होते हुए तेलीवाड़ा स्थित कालिदास मॉन्टेसरी स्कूल तक अपनी दिव्य छटा बिखेरी।

🎶 मंगल यात्रा में कर्नाटक बैंड दल, आदिवासी नर्तक दल, घुड़सवारी ध्वजवाहकों, बैंड बाजों और हजारों भावुक श्रद्धालुओं ने भक्ति व उल्लास का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया। “नमोस्तु शासन जयवंत हो” के जयघोष से संपूर्ण उज्जैन गुंजायमान हो उठा।

🌟 तेलीवाड़ा पहुंचने पर गुरुवर विराग सागरजी म.सा. के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन हुआ। प्रथम पाद प्रक्षालन का परम सौभाग्य तेजकुमार विनायका परिवार को प्राप्त हुआ।

🔱 कार्यक्रम की विशेष झलक रही सम्यक दर्शन, ज्ञान व चरित्र रूपी ग्रीष्म कालीन वाचना कलश स्थापना। प्रथम कलश – स्नेहलता श्रवण सोगानी, द्वितीय – अश्विन रूचि कासलीवाल, तृतीय – प्रकाश राजेंद्र बड़जात्या परिवार को सौंपे गए।

🗣️ अपने सशक्त प्रवचन में आचार्य श्री ने आत्मा को संयम व मोक्षमार्ग की दिशा में अग्रसर होने का संदेश देते हुए कहा,
“जब तक आत्मा चारित्र, ज्ञान और दर्शन की त्रिवेणी में स्नान नहीं करती, तब तक उसका उद्धार संभव नहीं।”

💐 कार्यक्रम का संचालन अनिल गंगवाल ने किया। देशभर से आए श्रावक-श्राविकाओं, आराधकों, त्यागी व्रतीजनों के साथ-साथ सभी जिनालय ट्रस्टियों एवं गणमान्य नागरिकों ने गुरुदेव को ग्रीष्मकालीन देशना हेतु निवेदन कर श्रीफल समर्पित किया।

🙏 अंत में आयोजन समिति व गुरु भक्त परिवार की ओर से समस्त उज्जैन वासियों से अपील की गई कि वे इस पुण्य पर्व में सहभागी बनें और दर्शन-ज्ञान-चारित्र की साधना से जीवन को पवित्र करें।

📜 महावीर संदेश – अभिषेक बड़जात्या


 

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