11 वर्षों बाद सूरत में संतत्व का पुनः उदय – मुनिश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. का नगर प्रवेश, त्रिस्तुतिक संघ में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

 

 

सूरत / नागदा | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी
जैसे चातुर्मास की वेला में आकाश से अमृत बरसता है, वैसे ही 11 वर्षों बाद सूरत नगरी एक बार फिर संतत्व की पावन वर्षा से भीगने को तैयार है। राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद विजय जयन्तसेनसूरीश्वरजी म.सा. के परम शिष्य, समतागुणसिक मुनिराज श्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. आदि ठाणा का दिव्य नगर प्रवेश कल सुबह कतारगाम से सूरत शहर में होने जा रहा है।

सूरतवासियों के लिए यह अवसर केवल नगर प्रवेश का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, साधना और संयम के संगम का प्रतीक बन गया है। विशेष बात यह है कि पूज्य श्री के साथ वे पांच साधु भगवंत भी पहली बार सूरत पधार रहे हैं, जिनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि यही पुण्यनगरी है। दीक्षा के बाद यह उनका सूरत में प्रथम आगमन है, जिससे श्रद्धालु वर्ग में विशेष आनंद और उत्साह का वातावरण व्याप्त है।

गत वर्ष पूज्य श्री की निश्रा में राजनगर में 830 सामूहिक सिद्धितप सफलतापूर्वक आयोजित किए गए थे, जिनकी अनुमोदना सम्पूर्ण भारत के जैन संघों द्वारा की गई थी। उस महान तप आराधना में पूज्य मुनिश्री के प्रेरणाप्रद प्रवचनों ने हजारों जीवनों में आत्मिक परिवर्तन की लहर दौड़ा दी थी।

इसके अतिरिक्त, गच्छाधिपति पूज्य श्री नित्यसेनसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में सिद्धवड़ में आयोजित ऐतिहासिक उपधान तप आराधना में पूज्य निपुणरत्न विजयजी म.सा. के आत्मा को स्पर्श करने वाले प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को संयम, शक्ति और साधना की ऊर्जा से ओतप्रोत किया।

पूज्य श्री का नगर प्रवेश कल कतारगाम से आरंभ होकर वेड़ दरवाजा, गोपीपुरा, अडाजण होते हुए पाल तक होगा। इन सभी स्थानों पर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा और धर्मसभा का आयोजन होगा, जिसमें वे आत्मकल्याणकारी उपदेश प्रदान करेंगे।

विशेष रूप से 14 मई को पूज्य श्री अपने संयम जीवन के 25वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। इस अमूल्य अवसर पर त्रिस्तुतिक जैन संघ द्वारा एक भव्य आयोजन की योजना बनाई गई है, जिसमें जैन समाज की भावनाएं, भक्ति और समर्पण झलकने वाले दृश्य उपस्थित होंगे।

सूरत का जैन समाज इस दैवीय अवसर को सौभाग्य मानकर भाव-विभोर है। श्रद्धालुओं में पूज्य श्री की एक झलक पाने और उनके प्रवचनों से आत्मशांति प्राप्त करने की उत्कंठा दृष्टिगोचर हो रही है।

रिपोर्ट: महावीर सन्देश – जीवनलाल जैन

 

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