भगवान के दर्शन कैसे करने चाहिए – हमें विचार करना चाहिए – आदि शास्त्री

📍 विदिशा | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |

जैन धर्म में भगवान के दर्शन और भक्ति का विशेष महत्व है, और इसे सही दृष्टिकोण से करने के लिए हमें कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह विषय जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित शिविर में विस्तार से चर्चा किया गया। शिविर में बच्चों और प्रौढ़ों को धर्म के मूल सिद्धांतों से परिचित कराया गया, और भक्ति की विधियों के बारे में सिखाया गया।

शिविर में 3 दिन के दौरान विभिन्न आयु वर्गों के बच्चों के लिए कक्षाएं आयोजित की गईं, जिसमें 3 से 7 साल के बच्चों को णमोकार मंत्र और उसके अर्थ से परिचित कराया गया। इस मंत्र का उच्चारण करके हम पञ्च परमेष्ठी को नमस्कार करते हैं, जो लोक के सभी अरिहंतों, सिद्धों, आचार्यों, उपध्यायों और साधुओं का सम्मान है। इसके अलावा, बच्चों को धर्म की गिनतियों जैसे आत्मा, जीव, और पाप के बारे में भी बताया गया।

8 से 12 साल के बच्चों के लिए धर्म के सरल सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया। विशेष रूप से, आदि शास्त्री ने बच्चों को यह सिखाया कि देव स्तुति कैसे करें और वीतरागी, सर्वज्ञ और हितोपदेशी देवता कौन होते हैं। पाप की परिभाषा को भी समझाया गया, जिसमें हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह जैसे बुरे कार्यों को पाप माना गया है। पाप के मूल कारणों में मिथ्यात्व और कषाय को दोषी ठहराया गया है।

इसके अलावा, 13 से 18 साल के बच्चों को उच्चतम धार्मिक विषयों पर शिक्षित किया गया। इनमें जिनेन्द्र देव के दर्शन और सिद्ध अवस्था के बारे में विचार किया गया। बच्चों को यह सिखाया गया कि कैसे भगवान के दर्शन से हम मिथ्यात्व को नष्ट कर सकते हैं और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं। शिविर के दौरान यह भी बताया गया कि पापों से बचने के लिए धर्म की सेवा और सत्कर्म की आवश्यकता है।

शिविर में भक्ति का विशेष महत्व
रात्रि के समय, बच्चों की प्रतिभा को उजागर करने के लिए एक खुला मंच आयोजित किया गया, जहां बच्चों ने अपनी पसंदीदा पंक्तियों के माध्यम से अपने विचारों को सबके सामने रखा। इस मंच का उद्देश्य बच्चों के अंदर धर्म के प्रति श्रद्धा और लगाव उत्पन्न करना था।

शिविर का उद्देश्य
यह शिविर न केवल बच्चों को जैन धर्म के सिद्धांतों से परिचित कराने का था, बल्कि उन्हें सही तरीके से भगवान के दर्शन और भक्ति करने के उपाय भी सिखाए गए। प्रवक्ता शोभित जैन ने सभी धर्मावलंबियों से अपील की कि वे इस शिविर में अधिक संख्या में शामिल हों और भगवान के दर्शन एवं भक्ति के सही मार्ग को समझें।

यह शिविर समाज में धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बच्चों में धार्मिकता की भावना जगाने का एक प्रभावशाली कदम साबित हो रहा है।

महावीर सन्देश | शोभित जैन

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