“ऐसा व्यापार करो जिससे अनंत काल तक सुख मिले”
विदिशा | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |
श्री शीतलनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में 10 मई से 16 मई तक आयोजित चल रहे जिन देशना आध्यात्मिक बाल-युवा शिक्षण शिविर के छठे दिन एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रख्यात प्रवक्ता निखिल शास्त्री ने शिविरार्थियों को देवगति, आत्मा की समानता एवं सुख-दुख के रहस्यों पर गहन व्याख्यान दिया।
भगवान महावीर का प्रथम संदेश: सभी आत्माएं समान
निखिल शास्त्री ने 6 ढाला ग्रंथ के आधार पर बताया कि देव चार प्रकार के होते हैं और देवगति के जीव इच्छाओं, भय, वियोग और मोह की वजह से दुखी रहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जितनी कषाय (विकार) उतना दुख और जितनी कषायों की कमी उतना सुख। उन्होंने कहा, “अपने को ऊंचा और दूसरों को नीचा देखकर ईर्ष्या उत्पन्न होती है, जबकि भगवान महावीर स्वामी का प्रथम संदेश है कि सभी आत्माएं बराबर हैं, कोई छोटा बड़ा नहीं।”
सुख-दुख का सार और व्यापार का सही मार्ग
निखिल शास्त्री ने यह भी समझाया कि अपेक्षाकृत थोड़े दुख वाले को हम सुखी कहते हैं, पर वास्तव में भोगों में दुख ही है। असली सुख रत्नत्रय (सत्य, धर्म, संयम) में है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया, “ऐसा व्यापार करो जिससे अनंत काल तक सुख मिले।”
धार्मिक कथा और बाल-युवा शिक्षण
सांयकालीन कक्षा में निखिल शास्त्री ने महासती मृगावती की संगीतमय कथा का प्रारंभ किया, जो महावीर स्वामी की मौसी और माता त्रिशला की बहन थीं। इस कथा से युवाओं में धर्म के प्रति उत्साह बढ़ा।
छोटी कक्षाओं में प्रतीक शास्त्री ने सरल उदाहरणों से द्रव्य ज्ञान की बुनियादी बातें समझाईं। उन्होंने जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल के छह द्रव्यों का वर्णन किया तथा इनके गुणों का व्याख्यान किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और भक्ति संध्या
पहली कक्षा के तीन से पांच वर्ष के छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से सभी का मन मोह लिया। चिरंतन शास्त्री और काव्य शास्त्री के निर्देशन में भक्ति संध्या भी आयोजित हुई, जिसने शिविर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।
यह शिविर न केवल बच्चों और युवाओं को धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें जीवन के सही मूल्यों के प्रति जागरूक कर समाज में सकारात्मक बदलाव की ओर अग्रसर कर रहा है।
महावीर संदेश – शोभित जैन