इंद्रियों पर विजय ही संयम की साधना का मूल — मुनिश्री विलोक सागर महाराज

बड़े जैन मंदिर में चल रही धर्म प्रभावना में प्रतिदिन उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

मुरैना।। एनएमटी न्यूज़ एजेंसी।
“जो इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं रखता, वह संयम की साधना नहीं कर सकता।”
यह ओजस्वी संदेश दिगंबर जैन संत मुनिश्री विलोक सागर महाराज ने नगर के बड़े जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि संयम का मार्ग कठिन है, लेकिन जो इस मार्ग पर चलता है, वही आत्मशुद्धि की ओर अग्रसर होता है।

मुनिश्री ने कहा कि —

“जो व्यक्ति सर्दी, गर्मी, भूख-प्यास, विषय-विकारों के प्रभाव में रहता है, वह व्रत, उपवास और संयम का पालन नहीं कर सकता। इंद्रियां एक दिन धोखा देंगी, इसलिए उन्हें समय रहते साध लेना चाहिए।”

उन्होंने इंद्रियों के संयम को स्वास्थ्य, धर्म, और जीवन की शांति के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।

धैर्य: जीवन की स्थिरता का मूल स्तंभ

धर्मसभा में धैर्य के महत्व पर भी मुनिश्री ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि –

“जिसके जीवन में धैर्य नहीं, उसका जीवन अंधकारमय है।
बच्चों की शादियाँ तो हम कर देते हैं, पर धैर्य की शिक्षा नहीं देते, यही कारण है कि उनके जीवन में क्लेश उत्पन्न होता है।”

उन्होंने सभी से आह्वान किया कि बच्चों को धैर्य का पाठ अवश्य पढ़ाएं, जिससे उनका जीवन संयमित और सुखद बन सके।

वाणी पर नियंत्रण – साधना की सर्वोच्च सीढ़ी

मुनिश्री ने वाणी संयम को भी धर्म का महत्वपूर्ण अंग बताया। उन्होंने कहा —

“तरकश से निकला तीर और मुख से निकली वाणी लौट नहीं सकती।
इसीलिए हमें हितकारी, मधुर और संयमित वचन बोलने चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में चाहे जैसी भी विपत्ति आए, वाणी पर संयम नहीं खोना चाहिए। यह ही सच्ची प्रभुभक्ति और संयम की साधना है।


125 मरीजों को मिली राहत, फिजियोथेरेपी शिविर बना दर्दमुक्ति का केंद्र

ज्ञान सेवा सदन में 21 मई तक चलेगा एक्यूप्रेशर फिजियोथेरेपी शिविर

मुरैना।
नगर के ज्ञान सेवा सदन, बड़े जैन मंदिर में चल रहे एक्यूप्रेशर फिजियोथेरेपी शिविर में रोगियों को असाधारण लाभ मिल रहा है। शिविर के तीसरे दिन तक 125 मरीजों का सफल उपचार किया गया है।

विशेषज्ञ टीम — विशालकुमार, श्रमण चौधरी, करन चौधरी एवं मनीष चौधरी (जोधपुर) से पधारकर कमर दर्द, सिर दर्द, जोड़ दर्द जैसे विभिन्न रोगों का बिना दवा के उपकरणों के माध्यम से उपचार कर रही है।

शिविर की प्रमुख बातें:
आयोजन अवधि: 15 से 21 मई
स्थान: ज्ञान सेवा सदन, बड़े जैन मंदिर
आयोजक: श्री यंग दिगंबर जैन फाउंडेशन
रोगियों की सुविधा हेतु पूर्णत: निःशुल्क व्यवस्था

फाउंडेशन के महामंत्री रमाशंकर जैन ‘लाला’ ने बताया कि –

“यह चिकित्सा पद्धति मुरैना में पहली बार अपनाई गई है और अब तक 125 मरीज लाभान्वित हो चुके हैं। हमें विश्वास है कि 21 मई तक यह संख्या 250 पार कर जाएगी।”

सेवा, साधना और संयम का अद्भुत संगम

जहां एक ओर जैन मंदिर में संयम, धैर्य और वाणी संयम जैसे आध्यात्मिक विषयों पर प्रेरणाप्रद प्रवचन हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शरीर के कष्टों से पीड़ित जनमानस को प्राकृतिक चिकित्सा से राहत दी जा रही है।


📿 महावीर संदेश – मनोज जैन नायक

“शरीर पर संयम, मन में धैर्य और वाणी में मिठास – यही है सम्यक जीवन की दिशा।”

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