पेटलावद में पहली बार 3 जैनाचार्यों समेत 80 से अधिक जैन साधु-भगवन्तों का भव्य प्रवेश

पेटलावद।। एनएमटी न्यूज़ एजेंसी।  झारखंड के श्री सम्मेतशिखरजी महातीर्थ से करीब दो हजार किलोमीटर पदयात्रा कर मालवा की धरती पर आए तपगच्छाधिपति एवं सुप्रसिद्ध जैनाचार्यश्री विजयरामचंद्रसूरीश्वरजी महाराज के तेजस्वी शिष्य और समुदाय के ज्योतिधर, जीर्णोद्वार प्रमुख जैनाचार्य श्री विजय मुक्तिप्रभ सूरीश्वरजी महाराजा, जैनाचार्य श्री विजय पुण्यरक्षित सूरीश्वरजी, एवं सागर समुदाय के जैनाचार्य श्री विजयआनंदचंद्र सागरसूरिजी सहित 80 से अधिक जैन श्रमण-श्रमणि भगवन्तों का पेटलावद में भव्य स्वागत हुआ।

स्वागत यात्रा के दौरान जैन समाजजनों ने विभिन्न स्थानों पर गुरुदेवों का आदर-सत्कार कर आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वागत यात्रा का समापन वर्धमान स्थानक पर धर्मसभा के आयोजन के साथ हुआ।


एकता, विशालता और आत्मीयता का संदेश

सागर समुदाय के प्रवचनकार जैनाचार्यश्री आनंदचंद्र सागर सूरीश्वरजी ने अपने प्रवचन में आज की स्वागत यात्रा एवं धर्मसभा को एकता, विशालता एवं आत्मीयता का सुंदर मिलन बताया। उन्होंने कहा कि जैनशासन की एक महान विशिष्टता यह है कि भगवान महावीर ने दो चर्या स्थापित की — (१) आहारचर्या और (२) विहारचर्या। विहारचर्या के माध्यम से जैन साधु छोटे-छोटे गाँवों तक भी पहुंचते हैं, जबकि आहारचर्या से छोटे-छोटे घरों में भी जैन साधुओं का पदार्पण होता है। इस प्रकार हर गांव और हर घर में जैन साधुओं की उपकार सरिता बहती रहती है।


आत्मा की दुर्लभ प्राप्तियाँ

जैनाचार्य श्री विजय पुण्यरक्षितसूरीश्वरजी ने कहा कि इस संसार चक्र में घुमती हुई आत्मा को चार दुर्लभ वस्तुओं की प्राप्ति होती है —

  1. मानव जन्म
  2. जिनवाणी श्रवण
  3. भगवान के वचनों पर श्रद्धा
  4. संयम जीवन में पुरुषार्थ

उन्होंने मानव जन्म की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इस दुर्लभ मानव जन्म की सफलता संयम जीवन में ही निहित है। धर्म और कर्तव्यों के पालन में कभी भी विलंब नहीं करना चाहिए। श्री ने पेटलावद श्रीसंघ की धर्मभावना की भूरी-भूरी प्रशंसा की।


मोक्ष पाने का सीधा रास्ता

मुख्य जैनाचार्य श्री विजय मुक्तिप्रभ सूरीश्वरजी महाराजा ने स्पष्ट कहा कि मोक्ष पाने का एक ही शॉर्टकट रास्ता है — दोषों को छोड़कर जहां भी गुण मिले, वहीं से गुण ग्रहण करना। एक भी दोष लेकर आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकती, और एक भी गुण छोड़ देना भी आत्मा के मोक्ष के मार्ग में बाधा है।


पेटलावद जैन संघ के लिए अविस्मरणीय दिन

पेटलावद जैन संघ के लिए यह स्वागत यात्रा एवं धर्मसभा एक अविस्मरणीय अवसर साबित हुई। तीनों समुदायों के तीन-तीन जैनाचार्यों का भव्य स्वागत एवं प्रवचन हुआ। इस कार्यक्रम में रतलाम, बामनिया, झाबुआ, उन्हेल, रायपुरिया समेत आसपास के अनेक गांवों के श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।

नवकारसी का आयोजन कांतिलाल चंपालाल जी मुरार एवं आयुष कुमार महेन्द्रजी गांधी परिवार की ओर से किया गया। धर्मसभा का संचालन राजेंद्र कटकानी ने किया। स्थानकवासी श्रावक संघ के कार्याध्यक्ष मणिलाल चाणोदिया, महावीर समिति के अध्यक्ष संजय व्होरा, उपाध्यक्ष चेतन कटकानी सहित समस्त जैन समाज के श्रद्धालु उपस्थित थे।


महावीर संदेश – निलेश सोनी

 

admin

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *