श्रीसंघ प्रतिनिधियों ने साध्वी भुवन प्रभाश्रीजी से लिया चातुर्मास प्रवेश मुहूर्त | दादा गुरुदेव की दरबार में हुई पूजा अर्चना
नागदा | एनएमटी न्यूज़ एजेंसी | 18 मई 2025
जैन समाज के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण एवं आध्यात्मिक वातावरण से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक क्षण उस समय साकार हुआ, जब साध्वी श्री भुवन प्रभाश्रीजी महाराज साहब की सुशिष्या डॉ. अमृतरसा श्रीजी आदि ठाणा 3 ने आगामी चातुर्मास हेतु जावरा में मंगल प्रवेश का शुभ मुहूर्त 4 जुलाई को घोषित किया।
यह पावन मुहूर्त मोहनखेड़ा तीर्थ में प्राप्त हुआ, जहाँ जावरा श्रीसंघ का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष अजित जी चत्तर के नेतृत्व में विशेष रूप से पहुँचा।
गुरु आज्ञा से चातुर्मास का मार्ग प्रशस्त
परम पूज्य युगप्रभावकाचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर एवं वर्तमान गच्छाधिपति श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरिश्वरजी म.सा. तथा आचार्य श्रीमद विजय जयरत्न सूरिश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी पूज्या साध्वीश्रीजी के चातुर्मास की घोषणा पूर्व में गुरुपर्व पर ही की जा चुकी थी। उस घोषणा को मूर्त रूप देने हेतु यह विशेष यात्रा संपन्न हुई।
श्रीसंघ का प्रतिनिधि मंडल रहा उपस्थित
इस आध्यात्मिक अवसर पर जावरा श्रीसंघ की ओर से अनेक गणमान्य पदाधिकारी एवं श्रद्धालु शामिल हुए:
- परिषद अध्यक्ष: सुमित जी दसेड़ा
- परामर्शदाता: नगीन जी सकलेचा
- महासचिव: अशोक जी नवलखा
- कोषाध्यक्ष: प्रकाश जी जैन
- सदस्यगण: पारस जी सकलेचा, अशोक जी कटारिया, ज्ञानचंद जी चत्तर, पीयूष जी मुणत
इन सभी ने मोहनखेड़ा तीर्थ पहुंचकर दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरिश्वरजी महाराज की चरण वंदना की एवं साध्वीश्रीजी से चातुर्मास प्रवेश हेतु औपचारिक मुहूर्त प्राप्त किया।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित हुआ संदेश
इस आध्यात्मिक समाचार की जानकारी अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ब्रजेश बोहरा ने दी। उन्होंने बताया कि चातुर्मास की तैयारी और उसके शुभारंभ को लेकर जावरा श्रीसंघ पूर्णतः समर्पित भाव से कार्यरत है।
एक दृष्टि में – चातुर्मास मुहूर्त
- चातुर्मास स्थान: जावरा
- साध्वी भगवंत: डॉ. अमृतरसा श्रीजी आदि ठाणा 3
- चातुर्मास मुहूर्त तिथि: 4 जुलाई 2025
- मुहूर्त स्थल: मोहनखेड़ा तीर्थ
- घोषणा: गच्छाधिपति श्री की आज्ञा से गुरुपर्व पर
“चातुर्मास आत्म शुद्धि और आत्म साधना का पावन अवसर होता है। ऐसे पवित्र समय में संतों की उपस्थिति किसी तीर्थ से कम नहीं होती।”
– महावीर संदेश – जीवनलाल जैन