धर्मसभा में विमल रुचि जी मसा का संदेश: “रोग, बुढ़ापा और मृत्यु से घबराएं नहीं, डटकर करें सामना”

 

संस्कार शिविर और रात्रिकालीन प्रवचनों में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

बड़ावदा:| एनएमटी न्यूज़ एजेंसी |  
जीवन की अनिश्चितता और मृत्यु की निश्चितता को लेकर जयशेखर धाम दादावाड़ी में आयोजित धर्मसभा में मुनि श्री विमल रुचि जी मसा ने कहा –

“हम अपने बच्चों का भविष्य संवारने में जीवन गुजार देते हैं, पर जिस परलोक की यात्रा सुनिश्चित है, उसकी चिंता नहीं करते। यदि आप अगला भव उज्ज्वल बनाना चाहते हैं, तो अभी से धर्म और आत्मचिंतन का बीजारोपण करें। मृत्यु निश्चित है, पर इसकी तारीख नहीं।”

उन्होंने दो अमूल्य रत्नों – मानव जन्म और जैन धर्म की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि आप फिर से इन्हें पाना चाहते हैं, तो देव-गुरु-धर्म की आराधना और सेवा में निरंतर लगे रहना होगा। कर्मों की तीव्रता से भगवान महावीर भी अछूते नहीं रहे – इसलिए कर्म अच्छे करें, भविष्य उज्ज्वल बनेगा।

“तीन चीजें कभी पीछा नहीं छोड़ती…”

मुनिश्री ने भावपूर्ण शब्दों में कहा:

“रोग, बुढ़ापा और मृत्यु – ये तीनों जीवन के अटल सत्य हैं। इनसे डरिए नहीं, इनका सामना कीजिए। जैसे ऋतु आती-जाती हैं, वैसे ही ये भी आएँगे और जाएँगे – हमें केवल धर्म और आत्मबल से इनका सामना करने की तैयारी करनी है।”

इस अवसर पर पुखराजमल सकलेचा द्वारा प्रभावना वितरण की गई। धर्मसभा में प्रमुख उपस्थिति दर्ज कराने वालों में मोहनखेड़ा तीर्थ ट्रस्टी बाबूलाल खेमसरा, दादावाड़ी ट्रस्ट अध्यक्ष मानमल सकलेचा, पुखराज चत्तर, राजेंद्र ओरा, कनकमल सकलेचा, सुरेश चत्तर, नरेंद्र सकलेचा, महेश सकलेचा, सुनील सकलेचा सहित अनेक श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का संचालन शिरीष सकलेचा ने किया।

बच्चों के लिए संस्कार शिविर का आयोजन

दोपहर में बच्चों के लिए संस्कार शिविर भी आयोजित किया गया, जिसमें बालकों को धार्मिक मूल्यों, सदाचार और नैतिक जीवन शैली की शिक्षा दी गई।


आचार्य धर्मबोधि सूरीश्वर जी मसा का रात्रिकालीन प्रवचन: “संस्कारों का हो रहा दोहन”

रात्रिकालीन धर्मसभा में आचार्य श्री ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा:

“आज मोबाइल बच्चों के जीवन में धर्म व संस्कारों का सबसे बड़ा शत्रु बन चुका है। माता-पिता यदि समय रहते सचेत नहीं हुए, तो बाद में पछताने के सिवा कुछ न बचेगा।”

उन्होंने धार्मिक पाठशालाओं में बच्चों की सहभागिता को अनिवार्य बताया और कहा:

“मां बच्चों की पहली पाठशाला है, और पिता दूसरी। माता-पिता की सेवा और आशीर्वाद से ही जीवन सच्चे अर्थों में सफल और खुशहाल बनता है।”


आचार्य श्री जिनसुंदर सूरी जी मसा का खाचरोद की ओर विहार

कार्यक्रम संयोजक राहुल सकलेचा ने बताया कि आचार्य श्री जिनसुंदर सूरी जी मसा एवं ठाणा 12 का विहार अब खाचरोद की ओर होगा। सुबह प्रवचन और शाम को विहार का क्रम अब लगातार जारी रहेगा।


महावीर संदेश – शिरीष सकलेचा

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